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चिनहट : अपट्रान की पुरानी फैक्ट्री में लगी भीषण आग

Fire Breack Out in Old Factory of Uptan Chinhat Lucknow

Fire Breack Out in Old Factory of Uptan Chinhat Lucknow

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चिनहट थाना क्षेत्र में उस समय हड़कंप मच गया जब देवा रोड पर इंडस्ट्रियल इलाके में स्थित अपट्रान की पुरानी फैक्ट्री में हवाओं के चलते सोमवार सुबह भीषण आग लग गई। आग लगने के उपरांत इलाके में भगदड़ मच गई। फैक्ट्री में आग बुझाने के इंतजाम ना होने से आग पलक झपकते ही विकराल हो गई। आसमान में काले धुएं का गुबार छा गया। आग लगने की सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियां लगाई गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने अग्निशमन की गाड़ियां बुलाई। घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। तब तक काफी संख्या में पुराना कबाड़ जलकर राख हो गया। आग लगने की वजह के बारे में पुलिस पता लगाने का प्रयास कर रही थी। थाना प्रभारी चिनहट आनंद कुमार शाही ने बताया कि कबाड़ में आग लगने की वजह से कोई जनहानि नहीं हुई है। ये फैक्ट्री बंद पड़ी हुई थी। आग कबाड़ में लगी थी फिलहाल आग पर दमकल की 3 गाड़ियों ने काबू पा लिया गया है।

बता दें कि अपट्रॉन इंडिया लिमिटेड की स्थापना 1976 में हुई थी। यह उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन की एक इकाई थी और इसका स्वामित्व राज्य सरकार के पास था। कंपनी में करीब 22 सौ कर्मचारी कार्यरत थे। कंपनी की आर्थिक स्थिति 1990 के बाद से खराब होती गई और 1994 में प्रदेश सरकार, यूपी इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन और अपट्रान प्रबंधन ने अपट्रान को बीमार घोषित कर दिया और कंपनी को बोर्ड ऑफ इंडस्ट्रियल एंड फाइनेशियल रिकंस्ट्रक्शन (बीआइएफआर) को भेज दिया था। वर्ष 1997 में कंपनी के पास कार्यशील पूंजी और कर्मचारियों के भुगतान का संकट आ गया था। उस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयास से सरकार ने कार्यशील पूंजी के लिए अपट्रान को पांच करोड़ रुपये दिए थे लेकिन हाल यह रहा कि धीरे-धीरे कर्मचारियों को वेतन मिलना बंद हो गया।

1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयास से वेतन वितरण के लिए अपट्रान कंपनी को दो करोड़ रुपये दिए गए थे, जिससे कर्मचारियों को जनवरी 1998 से मई 1998 तक का वेतन दिया गया था। अपट्रान प्रबंधन ने कर्मचारियों को मई 1998 से वेतन देना बंद कर दिया और वर्ष 2000 में कर्मचारियों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से स्वीकृत योजना चालू कर दी। कर्मचारियों ने आंदोलन चालू कर दिया और हारकर 1355 कर्मचारी वीआरएस लेने पर मजबूर हो गए और प्रबंधन ने वीआरएस मंजूर करते हुए सिर्फ वीआरएस की राशि का भुगतान किया। बकाया वेतन व पीएफ के लिए कर्मचारी आज भी संघर्ष कर रहे हैं। बहुत कष्ट सहना पड़ा। अपट्रान की मांग पूरे देश में बढ़ रही थी और साजिशन उसे बंद कर दिया गया था।

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