प्रयागराज कुंभ में पौष पूर्णिमा पर सोमवार को करीब 60 लाख से श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई। वहीं पूरे प्रदेश में एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। संगम तट पर कुंभ के दूसरे स्नान के लिए 35 घाटों पर व्यवस्था की गई थी। दूसरे स्नान में अखाड़ों ने स्नान नहीं किया। लेकिन लाखों की संख्या में संगम नगरी पहुंच चुके कल प्रवासियों ने सुबह स्नान के साथ एक माह तक चलने वाले कल प्रभास शुरू किए। यह कल्पवास माघ की पूर्णिमा तक चलेगा। कल्पवासियों के कुंभ नगरी में पहुंचने से मेले की रौनक बढ़ गई।

कुंभ मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने बताया कि पौष पूर्णिमा पर करीब एक करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया। दूसरे स्नान पर्व को ध्यान में रखते हुए सभी तैयारियां पूरी की गई थी। गंगा में पानी का स्तर संतोषजनक रहा। इसकी क्वालिटी की भी लगातार जांच की जा रही थी। उन्होंने बताया कि कल वो वासियों को ध्यान में रखते हुए मेले में राशन की 160 दुकानें खुली रही है 31 जनवरी तक सभी के कार्ड बना दिए गए जाएंगे। आज 21 जनवरी को पहला पूर्ण चंद्रग्रहण है। परंतु इस को भी भारत में नहीं देखा जा सकेगा क्योंकि जब चंद्रग्रहण पड़ा तो दिन निकला है और खिली धूप में चांद नहीं दिख सकता।

बता दें कि हिंदू धर्म में पूर्णिमा का दिन खास माना जाता है। मगर पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा का अधिक महत्व है। मोक्ष की कामना रखने वालों के लिए यह दिन बेहद खास होता है। इसे पौष पूर्णिमा भी कहा जाता है। पौष पूर्णिमा के मौके पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है। वह भी प्रयाग के कुंभ में स्नान विशेष फलदायी माना जाता है। लेकिन, आज चंद्रग्रहण के कारण सुबह 10:11 बजे से लेकर 11:12 बजे तक श्रद्धालु स्नान नहीं करेंगे। चंद्रग्रहण खत्म होने के बाद ही लोग स्नान दान करेंगे। इस दिन किए जप, तप का तो महत्व है ही साथ ही और दान खासतौर से महत्वपूर्ण होता है। चंद्रमा के साथ साथ पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]नदियों में स्नान का होता है खास महत्व[/penci_blockquote]
कहते हैं कि पौष पूर्णिमा के मौके पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है। आस्था की एक डुबकी मोक्ष तो दिलाती ही है साथ ही कई तरह के पापों से मुक्ति भी दिलाती है। कहते हैं इस दिन चंद्रमा को नामित व्रत करने से चंद्रमा के खराब प्रभाव को भी कम किया जा सकता है। इन दिनों प्रयागराज में कुंभ मेला 2019 चल रहा है जिसमें दूसरा शाही स्नान पौष पूर्णिमा पर ही है। जहां इस दिन करोड़ों श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। त्रिवेणी के अलावा इस दिन हरिद्वार, गंगासागर, गंगा नदी में डुबकी लगाने से पुण्य मिलता है। मोक्ष की कामना रखने वालों के लिए यह दिन बेहद खास होता है। इस तिथि को सूर्य और चंद्रमा के संगम भी कहा जाता है, क्योंकि पौष का महीना सूर्य देव का माह होता है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है। चंद्रमा के साथ-साथ पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है। इस साल पौष पूर्णिमा को लेकर लोगों में संशय है क्योंकि इस बार पूर्णिमा 20 जनवरी को ही शुरू हो जाएगी जो 21 जनवरी तक चलेगी।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]पौष पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि[/penci_blockquote]
1. पौष पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
2. वरुण देव को प्रणाम कर पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें। बनारस के दशाश्वमेध घाट व प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर पर डुबकी लगाना शुभ और पवित्र माना जाता है।
3. इसके बाद सूर्य मंत्र के साथ सूर्य देव को अर्घ्य दें।
4. किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराएं।
5. ब्राह्मण या गरीब व्यक्ति को तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र का दान करें।

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