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ढाई घाट मेले में लगी आग से महाराष्ट्र के पांच लोग झुलसे

Five people

Five people of Maharashtra scorched by a fire at a two-and-a-half-ferry fair

प्रदेश के फरुखाबाद जिले में ढाई घाट मेले में कल्पवास को आये महाराष्ट्र के संतोष गिरी अपनी पत्नी निशा( 40) बर्षीय दो जुड़वाँ पुत्र सोहन व संस्कार 12 वर्षीय तथा बैष्णवी 26 वर्षीय रात 9:30 बजे अपनी झोपडी में अलाव जलाकर ताप रहे थे।  तभी अचानक धूने में जल रहे अलाव कि चिंगारी से फूस की झोपडी में आग लग गयी। देखते – देखते आग ने बिक्राल रूप ले लिया।  काफी जद्दो जहद के बाद इन लोगों को बाहर निकाला जा सका।

सूचना पर पहुंची फायर सर्विस ने आग पर काबू  पाया

ढाईघाट मेले में लाखों लोग कल्पवास कर रहे है।लेकिन जिस समय पंच दश नाम जूना अखाड़ा तेरा मढी पंजाब के महंत हरिओम गिरी की झोपड़ी में आग लगी हुई थी।उस समय कोई भी मदद के लिए आगे नही आया स्थानीय लोगो के साथ जले हुए लोग अपनी झोपडी की आग को बालू डाल कर आग बुझा रहे थे।लोगों ने पुलिस के साथ फायर सर्विस को फोन पर घटना की सूचना दी लेकिन लगभग 2 घण्टे बाद केवल पुलिस मौके पर पहुंची।सबसे मजे की बात यह है कि इतना बड़ा मेला होने के बाबजूद प्रशासन की तरफ से कोई इंतजाम नही है।अभी इस आग में केवल पांच लोग ही जख्मी हुए लेकिन इसी प्रकार के इंतजाम बने रहे तो आगे और भी बड़ी घटना हो सकती है, क्या प्रसाशन किसी बड़ी घटना होने के बाद मेले की सुरक्षा के लिए इंतजाम करेगा।यदि पुलिस जब दो घण्टे में घटना स्थल पर पहुंची तो इसका मतलब रात्रि में मेले की सुरक्षा कौन देखता होगा।

बहुत दिनों से लगता है यहां मेला

किसी के साथ लूटपाट के अलावा अन्य घटनाये भी घट सकती है।जब तीन जिलों की सीमा पर लगने बाला मेला ढाईघाट मेला रामनगरिया से पुराना माना जाता है।लेकिन संसाधनों से आज भी बंचित है।क्योंकि इस मेले की जिम्मेदारी जिला पंचायत के हाथों में है।वह चाहे शाहजहांपुर,फर्रुखाबाद की हो।

जिस प्रकार से गंगा स्नान करने दूसरे राज्यो से गंगा भक्तो को मदद में दो घण्टे लगा दिए तो यूपी सरकार का संदेश दूसरे राज्यो में क्या जायेगा। शमसाबाद एसओ रविन्द्र नाथ यादव उन्हें सी.एस.सी लेकर आये जहाँ पर ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों ने जले हुए मरीजो को कोई उपचार नही किया केबल कागजोॆ पर इंट्री करके लोहिया अस्पताल रेफर कर दिया था।

लोहिया अस्पताल आने पर डॉक्टरों ने अपने स्टाफ के साथ आनन फानन से सभी घायलों का उपचार शुरू कर दिया।सभी घायल खतरे से बाहर है।उनका इलाज चल रहा है।यदि मेले में डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई होती तो शायद जले हुए लोगो को प्रथम उपचार किया जा सकता है।आखिर प्रसाशन इतनी बड़ी चूक कैसे कर सकता है।जब पूरे मेले में फूस की झोपड़िया बनी हुई है।तो आग लगना कोई बड़ी बात नही है लेकिन उससे बचाने के लिए इंतजाम जरूरी है।

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