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विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए विदेशों से भी आते हैं भक्त

आदिशक्ति जगदम्बा का परम धाम विन्ध्याचल केवल एक तीर्थ नहीं बल्कि प्रमुख शक्तिपीठ है। वर्ष में पड़ने वाले नवरात्र में लगने वाले विशाल मेले में दूर-दूर से भक्त माँ के दर्शन के लिए आते हैं। बुधवार को उदया तिथि में मान होने के कारण यह चैत्र (बासंतिक) नवरात्र आठ दिनों का है। मेला रविवार की भोर में मंगला आरती से आरम्भ हो गया। नवरात्र में आदिशक्ति के नौ रूपों की आराधना की जाती है। पहले दिन हिमालय की पुत्री पार्वती अर्थात शैलपुत्री के रूप में आदिशक्ति का सविधि पूजन अर्चन करने का विधान है।

प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली माँ का यह स्वरूप सभी के लिए वन्दनीय है। विन्ध्यपर्वत और पापनाशिनी माँ गंगा के संगम तट पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी शैलपुत्री के रूप में दर्शन देकर अपने सभी भक्तों का कष्ट दूर करती है। नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालुओं ने पूरी श्रद्धा के साथ आदिशक्ति माँ विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन किया। घंटी घडियालों से पूरा विन्ध्य क्षेत्र गुंजायमान रहा।

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भक्तों के कष्ट दूर करतीं है मां विंध्यवासिनी

अनादिकाल से भक्तों के आस्था का केंद्र बने विन्ध्य पर्वत व पतित पावनी माँ भागीरथी के संगम तट पर श्रीयंत्र पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी का प्रथम दिन शैलपुत्री के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है। शैल का अर्थ पहाड़ होता है। कथाओं के अनुसार पार्वती पहाड़ों के राजा हिमालय की पुत्री थी। पर्वत राज हिमालय की पुत्री को शैलपुत्री भी कहा जाता है। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल है। भारत के मानक समय के लिए विन्दु के रूप में स्थापित विन्ध्यक्षेत्र में माँ को विन्दुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाला माना जाता है। प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली माँ शैलपुत्री सभी के लिए आराध्य है।

आठ दिन का होगा चैत्र नवरात्र

घर के ईशान कोंण में कलश स्थापना मुहूर्त 8:58 से 10:54 के बीच भक्त करेंगे। कलश स्थापन के साथ ही माता भक्त साधना में जुट गए है। आठ दिन माँ दुर्गा मन, वचन, कर्म सहित इस शरीर के नौ द्वार से माँ सभी भक्तों की मनोकामना को पूरा करती है। भक्त को जिस-जिस वस्तुओं की जरूरत होता है वह सभी माता रानी प्रदान करती है। विद्वान आचार्य बताते हैं समूचे ब्रह्माण्ड में इससे आज के दिन साधक के मूलाधार चक्र का जागरण होता है।

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विदेशों से भी आते हैं मां के भक्त

सिद्धपीठ में देश के कोने-कोने से ही नहीं बल्कि विदेश से आने वाले भक्त माँ का दर्शन पाकर निहाल हो उठते है। दर्शन करने के लिए लम्बी-लम्बी कतारों में लगे भक्त माँ जयकारा लगाते रहते हैं। भक्तों की आस्था से प्रसन्न होकर माँ उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती है। जो भी भक्त की अभिलाषा होती है माँ उसे पूरी करती हैं। माँ के धाम में पहुंचकर भक्त परम शांति की अनुभूति करते है। उन्हें विश्वास है कि माँ सब दुःख दूर कर देगी।

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