उत्तर प्रदेश के चुनाव में मुस्लिम वोटों की दावेदारी के लिए इत्तेहाद फ्रंट नाम से एक नया मोर्चा बनाया गया है। मंगलवार को लखनऊ में 10 छोटी-छोटी, करीब-करीब गुमनाम पार्टियों ने मिल कर ये नया फ्रंट बनाने की घोषणा की। इस फ्रंट का दावा है कि इस बार मुस्लिम वोट बंट कर तितर-बितर नहीं होने दिया जाएगा। लखनऊ के मौलवीगंज स्थित जमात-ए-इस्लामी के कार्यालय में बैठक में तय हुआ कि अफजाल अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल और असद्उद्दीन ओवैसी की आल इण्डिया इत्तेहादुल मुस्लमीन को भी इस इत्तेहाद फ्रंट में शामिल करने की हरसंभव कोशिश की जाएगी।

  • मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद सुलेमान को इस फ्रंट का संयोजक बनाया गया है।
  • वहीं, पालिटिकल यूनिटी कैम्पेन के संयोजक इस्माइल बाटलीवाला को इस इत्तेहाद फ्रंट का मुख्य सलाहकार बनाया गया है।
  • इस बैठक की अध्यक्षता करने वाले इस्माइल बाटलीवाला ने बताया कि इत्तेहाद फ्रंट सभी 403 विधान सभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा।
  • इत्तेहाद फ्रंट में जो पार्टियां शामिल हैं, उनमें पीस पार्टी को छोडकर किसी का एक विधायक तक नहीं है।
  • लेकिन यूपी के इस चुनावी मौसम में हर कोई मुस्लिमों का रहनुमा बनने की कोशिश करता नजर आ रहा है।

ये पार्टियां हुईं फ्रंट में शामिलः

  •  इस फ्रंट में इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इण्डिया, पीस पार्टी, वेलफेयर पार्टी आफ इण्डिया, परचम पार्टी, आल इण्डिया मुस्लिम मजलिस, राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल, इंडियन नेशनल लीग, इत्तेहाद-ए-मिल्लत कॉन्फ्रेंस और अवामी विकास पार्टी शामिल हुई हैं।
  • इत्तेहाद फ्रंट के नेताओं ने बैठक का बाद कहा कि मुख्यधारा की बड़ी पार्टियां सिर्फ मुस्लिम वोट बैंक का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करती हैं।
  • बता दें, उत्तर प्रदेश की सियासत में हर चुनाव के पहले ऐसी पार्टियां और फ्रंट बनने का चलन बहुत पुराना है, लेकिन चुनाव से पहले ऐसे मोर्चे हमेशा ही बिखर जाते हैं।
  • आरोप लगते रहें हैं कि मोर्चा बनाकर तोलमोल के पार्टियों के नेता बड़े सियासी दलों के हाथों बिक जाते हैं।
  • इत्तेहाद फ्रंट के नेता खुद भी मानते हैं कि ये आरोप कुछ हद तक सही हैं, लेकिन उनका दावा है कि इस बार वोटों का सौदा नहीं होगा।
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