पूर्व राजयपाल नारायण दत्त तिवारी (एनडी तिवारी) का लंबी बीमारी के बाद दिल्ली में निधन हो गया। वह काफी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री सहित देश के सभी बड़े नेताओं ने दुःख व्यक्त किया है। उत्तराखंड के विकास पुरुष नारायण दत्त तिवारी ने आज दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में आखिरी सांस ली। एनडी के निधन से राजनीति पार्टियों में शोक की लहर दौड़ गई। नारायण दत्त तिवारी देश के पहले ऐसे राजनीतिज्ञ थे, जिन्हें दो-दो राज्य का मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ। वह नेहरू-गांधी के दौर के उन चंद दुर्लभ नेताओं में थे, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में सक्रिय योगदान दिया।

केंद्र में वित्त, विदेश, उद्योग, श्रम सरीखे अहम मंत्रालयों की कमान संभाल चुके एनडी तिवारी को जब उत्तराखंड सरीखे छोटे राज्य की कमान सौंपी गई तो उत्तराखंड की आंदोलनकारी शक्तियां असहज और स्तब्ध थी। जानकारों की मानें तो जिस समय एनडी तिवारी को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया, उस वक्त एनडी तिवारी उत्तराखंड में अवस्थापना विकास और उद्योग की आधारशिला रखने में कामयाब हुए थे। उनके अनुयायियों ने एनडी के लिए विकास पुरुष की उपमा गढ़ी। उनके पक्ष और विपक्ष में बैठे प्रतिद्वंद्वी भी उत्तराखंड के विकास में एनडी के योगदान की दाद देते हैं।

मुख्यमंत्री बनने के बाद एनडी ने अपने केंद्रीय रिश्तों के दम पर निवेशकों को उत्तराखंड आने को विवश किया। राजमार्गों और सर्किल मार्गों को रिकॉर्ड समय में तैयार कराया। नये राज्य की तरक्की उनके विजन से ही उनके उत्तराधिकारी आगे की राह तैयार करते आए हैं। दिग्गज कांग्रेसी नेता और उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी 92 साल के थे। आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश के गवर्नर रह चुके एनडी तिवारी आज ही के दिन यानी 18 अक्टूबर 1925 को कुमाऊंनी परिवार में पैदा हुए थे। दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।

[penci_related_posts taxonomies=”undefined” title=”हिंदी की खबरें ” background=”” border=”” thumbright=”yes” number=”4″ style=”grid” align=”none” displayby=”uttar_pradesh_categories” orderby=”random”]

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें