सपा पूर्व विधायक विमल कृष्ण अग्रवाल समेत 3 के खिलाफ दर्ज किया धोखाधड़ी का मुकदमा

बदायूं।   समाजवादी पार्टी से विधायक रहे विमल कृष्ण अग्रवाल के रिश्तेदार के साथ तीन लोगों पर धोखाधड़ी के आरोप में पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा। इन लोगों पर कंपनी में डायरेक्टर बनाने का झांसा देकर लोगों से लाखों की ठगी का आरोप है। दिल्ली निवासी व्यक्ति ने सपा से विधायक रह चुके विधायक विमल कृष्ण अग्रवाल के रिश्तेदार समेत तीन लोगों पर धोखाधड़ी कर 88 लाख 75 हजार रुपये की रकम हड़पने का आरोप लगाया है। इन सभी को नामजद किया गया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है। दो माह पूर्व आरोपित पक्ष की ओर से भी कंपनी के नाम पर रकम जमा कराने का अज्ञात पर मुकदमा दर्ज कराया गया था।

जानिए आखिर क्या थी घटना

दिल्ली की इंद्रा विकास कॉलोनी  में रहने वाले अमित कुमार खेतान पुत्र विजय कुमार खेतान ने उझानी कोतवाली में दर्ज मुकदमे में बताया कि वह फाइनेंस का छोटा काम करते हैं। उसी दौरान उसकी मुलाकात अमित कुमार गुप्ता निवासी रामगंगा विहार, जिला मुरादाबाद से हुई। उन्होंने बताया कि उसके जान पहचान वाले  के पास रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से लाइसेंस प्राप्त अभिनव हायर पर्चेज नामक कंपनी है। अमित ने उन्ही दिनों दौरान उसकी मुलाकात राजीव वाष्र्णेय और पूर्व विधायक के रिश्तेदार अभिषेक अग्रवाल पुत्र विष्णु भगवान अग्रवाल निवासी उझानी, जिला बदायूं से कराई।

कंपनी में डायरेक्टर के पद पर नौकरी देने के नाम पर उसे ठगा

आरोपितों ने उसे झांसा दिया कि उसको कंपनी में डायरेक्टर के पद पर नौकरी देंगे, इसके लिए कंपनी में पैसा शेयर करना होगा। उसे भरोसे में लेने के लिए आरोपितों ने पांच लाख रुपये लेकर उसको कंपनी में एडिशनल डायरेक्टर का पद दे दिया गया। इसके बाद दो जून 2015 को पीएनबी में कंपनी का एक अकाउंट खोलकर उसमें रकम जमा करने को कहा गया। उसने कुल 88 लाख 75 हजार रुपये कंपनी और अमित के खाते में जमा करा दिए। आरोप है कि जब उसने डायरेक्टर बनाने का दबाव बनाया तो 30 सितंबर 2015 को बिना बताए उसे कंपनी से निकाल दिया गया। इनके विरोध पर अभिषेक अग्रवाल, राजीव वाष्र्णेय, अमित गुप्ता ने धमकाया कि आरबीआइ की कार्रवाई में फंसवा देंगे। पुलिस ने तीनों के खिलाफ मुकदमा कायम कर लिया है।

क्या कहते है अधिकारी

कोतवाल उझानी के इंस्पेक्टर, विनोद कुमार ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर आरोपितों की तलाश की जा रही है। मामले में इससे पहले 19 सितंबर को आरोपित पक्ष की ओर से भी एक मुकदमा कोर्ट के आदेश पर दर्ज किया गया था कि उनकी कंपनी से मिलता-जुलता नाम रखकर कुछ लोग रकम जमा करा रहे हैं। लेकिन कोई साक्ष्य नहीं मिले थे। अब साक्ष्यों के आधार पर हर पहलू की जांच की जा रही है।

 

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