राजधानी लखनऊ के सरोजनी नगर थाना में नागरिक उड्डयन विभाग के उप निदेशक और उनके सहयोगियों के विरुद्ध फर्जी दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने का मुकदमा पंजीकृत किया गया है। कानपुर रोड स्थित एलडीए कॉलोनी सेक्टर ऍफ़ निवासी देवेंद्र दीक्षित की अर्जी पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए थे।

प्रभारी निरीक्षक रामसूरत सोनकर ने बताया कि 16 साल पहले बर्खास्त कर्मचारी देवेंद्र कुमार दीक्षित ने उपनिदेशक नुजहत अली पर स्थानांतरित हो चुके अफसर के फर्जी दस्तखत से बर्खास्तगी का आदेश जारी करने का आरोप लगाते हुए न्यायालय में अर्जी दी थी। उसने सूचना के अधिकार के माध्यम से एकत्र सबूत भी न्यायालय में दाखिल किए थे। देवेंद्र के अनुसार, वर्ष 2002 में वह नागरिक उड्डयन महानिदेशालय उत्तर प्रदेश के आधीन उत्तर प्रदेश उड़ान प्रशिक्षण संस्थान कानपुर में कार्यरत थे। इस दौरान उन्हें नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के महानिदेशक प्रदीप कुमार के हस्ताक्षर से 4 नवंबर 2002 को जारी आदेश से नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद 9 दिसंबर को तत्कालीन वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी (वर्तमान में उपनिदेशक) नुजहत अली ने शुद्धि पत्र जारी किया कि देवेंद्र कुमार दीक्षित की बर्खास्तगी की तिथि 4 दिसम्बर 2002 थी। देवेंद्र ने बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ जांच उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने के साथ ही अपने पक्ष में एकत्र करने शुरू किए।

सूचना के अधिकार के तहत उत्तर प्रदेश शासन के नियुक्ति अनुभाग 1 से बर्खास्तगी का आदेश पर दस्तखत करने वाले आईएएस अफसर प्रदीप कुमार की तैनाती के बारे में जानकारी मांगी थी।पता चला कि प्रदीप की नागरिक उड्डयन महानिदेशालय में महानिदेशक के पद पर तैनाती नहीं थी। इस पर विभाग ने सफाई दी कि प्रदीप कुमार नहीं बल्कि आईएस प्रदीप शुक्ला ने देवेंद्र को बर्खास्त किया था। जिस पर देवेंद्र ने प्रदीप शुक्ला की तैनाती के बारे में जानकारी मांगी। पता चला कि 9 नवंबर 2002 को प्रदीप शुक्ला को तत्कालीन सचिव खेलकूद एवं नागरिक उड्डयन (महानिदेशक) पद से महानिरीक्षक कारागार के पद पर स्थानांतरित किया गया था और उन्होंने 16 नवंबर 2002 को पदभार भी संभाल लिया था। देवेंद्र का आरोप है कि 4 दिसंबर 2002 को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय में प्रदीप कुमार प्रदीप शुक्ला की महानिदेशक पद पर तैनाती नहीं थी। ऐसे में तत्कालीन वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कूट रचित आदेश तैयार करके फर्जी दस्तखत बनाए थे। थाने व पुलिस अधिकारियों से शिकायत का कोई नतीजा निकलने पर देवेंद्र ने कोर्ट में अर्जी दी थी।

[penci_related_posts taxonomies=”undefined” title=”Crime News” background=”” border=”” thumbright=”yes” number=”4″ style=”grid” align=”none” displayby=”up_crime_categories” orderby=”random”]

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें