जहाँ एक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज वाराणसी में गंगा में महीनेभर से चलने को बेताब अलकनंदा क्रूज़ का उद्घाटन करने वाले है वहीँ पर्यटकों को आकर्षित करने और वाराणसी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्रूज़ चलाने की यह योजना खटाई में पड़ती हुई दिख रही है. गंगा महासभा ने वाराणसी में राजमहल और अलकनंदा क्रूज़ चलाये जाने का विरोध किया है.

संत समाज ने खड़े किये सवाल:

गंगा महासभा के जितेन्द्र सरस्वती ने दोनों क्रूज़ को पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव बताया है. उनका कहना है कि ‘माँ गंगा में चलने वाले इन क्रूज़ में शराब और मांस का सेवन होगा जिसका हम कड़ा विरोध करते है’. उनका कहना है कि यह बहुत ही निंदनीय है और हम पहले से कहते आये है कि तीर्थस्थल और पर्यटक स्थलों को अलग रखा जाए.

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]वाराणसी में गंगा महासभा ने क्रूज़ चलाने का किया विरोध[/penci_blockquote]

रोक के लिए कमिश्नर को लिखा पत्र:

गंगा महासभा ने वाराणसी के कमिश्नर दीपक कुमार को पत्र लिखकर देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में इन क्रूजों के संचालन पर रोक लगाने की मांग की है. संतों का कहना है कि अगर प्रशासन इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाता तो संत समाज आंदोलन के लिए विवश हो जायेगा.

क्या है पूरी योजना:

वाराणसी आने वाले पर्यटक अब यहाँ के ऐतिहासिक घाटों का अवलोकन क्रूज़ में बैठकर कर सकेंगे.इस दौरान पर्यटक टीवी स्क्रीन पर बनारस के ऐतिहासिक घाटों के सम्बन्ध में जानकारी भी प्राप्त करेंगे और बनारस के बनारसीपन से भी रूबरू होंगे.  125 सीटर अलकनंदा क्रूज वातानुकूलित और इको फ्रेंडली है। गंगा की स्‍वच्‍छता को ख्‍याल में रखते हुए इसमें बायो टॉइलट की व्‍यवस्‍था की गई है। इस योजना में सुबह-ए-बनारस और शाम की मनोहर गंगा आरती भी शामिल है. एक निश्चित शुल्क अदा कर सैलानी क्रूज़ में रुद्राभिषेक भी करा सकते है.

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