आम तौर पर लोग अपने प्रियजन की मौत के बाद पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं लेकिन कानपुर की एक महिला शशि निगम ने अपने पति को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये रक्तदान और स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया। शशि के पति की मौत सही इलाज न होने के कारण हो गयी थी।
आज कानपुर के तमाम लोग शशि निगम के सामाजिक सरोकार को प्रणाम कर रहे हैं। यदि किसी महिला का पति जीवन और मौत के बीच जंग लड़ रहा हो तो पत्नी अपना सब कुछ बेचकर भी अपने पति की जान बचाने का प्रयास करती है। यहां तक कि वह अपने मंगलसूत्र भी गिरवी रखने से पीछे नहीं हटती। आमतौर पर किसी महिला के पति की नर्सिंग होम की लूट-खसोट में डाॅक्टरों की लापरवाही से मौत हो जाती है, या तो वो अदालत की शरण में जाती है या स्वास्थ्य विभाग को कोसकर घर बैठ जाती है लेकिन कानपुर की शशि निगम ने अपने पति की मौत के बाद सामाजिक सरोकार की मिसाल पेश की है। पिछले साल फरवरी में शशि के पति कृष्ण नारायण निगम की मौत डाक्टरों के द्वारा गलत आपरेशन किये जाने के कारण हो गयी थी। पति के प्राण बचाने के लिये डाक्टरों के कहने पर शशि ने अपने सारे गहने बेच दिये, सारी जमा पूंजी खर्च कर दी और जब उनके पास एक पाई नहीं बची तो डाक्टरों ने उनके पति को मौत के मुॅह में ढकेल दिया।

एक एक बोतल खून के लिए दर-ब-दर भटकी शशि

शशि निगम को बताया कि किस तरह से वो पति के आपरेशन के लिये एक-एक बोतल खून के लिये भटकी हैं। किस तरह पति के सही इलाज के लिये हफ्तों अपनी छोटी बेटी को गोद में लिए नर्सिंग होम की चैखट पर पड़ी रहीं। अब उनके जैसी किसी अभागी महिला को अपने पति या बेटे के लिये खून के लिये भटकना न पड़े, इसके लिये वे अपने पति की प्रथम पुण्य तिथि पर ‘‘रक्तदान शिविर’’ का आयोजन किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य परीक्षण कैम्प भी लगाया गया।

लोगों ने दो घण्टे में 50 यूनिट रक्तदान किया

दिवंगत पति को किसी पत्नी की इससे बढ़कर और क्या श्रद्धांजलि हो सकती थी। दर्जनों लोगों ने उनकी भावना को प्रणाम करते हुए स्वेच्छा से रक्तदान किया। पहले दो घण्टे में ही 50 यूनिट से अधिक रक्त इकठ्ठा हो गया था। इसे आईएमए के ब्लड बैंक में जरूरतमन्दों के लिये दान किया गया है।

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