वाराणसी फ्लाई ओवर हादसे में उप्र राज्य सेतु निगम के महाप्रबंधक अशोक मेहतो ने निर्माण में खामियों की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा कि फ्लाई ओवर पर रखी जा रही तीनों बीमों को आपस में सबसे पहले क्रॉस बीम से जोड़ा जाना चाहिए था, लेकिन यह नहीं किया गया, इस वजह से हादसा हुआ।

 मेहतो लखनऊ में गुरुवार को इंडियन इंस्टीट्यूट ब्रिज इंजीनियर्स द्वारा आयोजित प्रेसवार्ता में बोल रहे थे। जीएम ने कहा, बीम को आपस में कंक्रीट से जोड़ना चाहिए था, लेकिन वहां काम कर रहे इंजीनियरों ने ऐसा नहीं किया। वे बिना उन्हें आपस में जोड़े ही वेल्डिंग करके पिलर पर बैठाने लगे। यह एक बड़ी कमी थी।

दिसंबर तक प्रोजेक्ट पूरा करने का दबाव था
जीएम ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र होने की वजह से जिला प्रशासन और अन्य विभागों की ओर से सेतु निगम पर कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने का दबाव डाला गया। इसे दिसंबर 2018 तक पूरा करने की डेडलाइन निर्धारित की गई। इस वजह से दिन के समय भी जोखिम भरे काम किए जाते रहे।

जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस को बताया जिम्मेदार

अशोक मेहतो ने निर्माण के दौरान बरती गई खामियों के बावजूद हादसे में मौतों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से वाराणसी जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस को जिम्मेदार बताया। उन्हाेंने 23 फरवरी 2018 को प्रोजेक्ट पर काम कर रहे प्रबंधक पर वाराणसी पुलिस द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर का हवाला देकर कहा, जब सेतु निगम ने निर्माण स्थल पर ट्रैफिक रोकनी शुरू की तो हमारे अधिकारियों के खिलाफ ट्रैफिक जाम की वजह बनने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवा दी गई। इस नाते उनके इंजीनियर प्रोजेक्ट पर काम करने से डरने लगे।

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