पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिस रिवर फ्रंट का निर्माण कराया उसके दो स्वरुप सामने आये हैं. एक वो इलाका जहाँ शाम होते ही दुधिया रौशनी में वो जगह किसी खुबसूरत परी की तरह लगती है, तो वहीँ दूसरा इलाका है जो निर्माणाधीन है. इस निर्माणाधीन इलाके में गन्दगी की भरमार है.शायद इसकी वजह रिवर फ्रंट की जाँच है जिसके बारे में सरकार कुछ बोल पाने की स्थिति में नहीं है.

सीएम योगी भी गन्दगी देख भड़के थे:

यही वजह है कि सीएम योगी ने जब रिवर फ्रंट का दौरा किया तब सीएम सम्बंधित अधिकारियों पर भड़के थे. उसी वक्त रिवर फ्रंट की जाँच के आदेश भी दे दिए गए थे. हालाँकि रिवर फ्रंट के लिए अतिरिक्त बजट और रिवर फ्रंट के क्षेत्र विस्तार की भी सीएम ने बात की थी. लेकिन जो अहम बात थी, वो गोमती की सफाई. गोमती की सफाई में उदासीनता की तस्वीर देख आप समझ सकते हैं कि गोमती की सफाई के लिए सरकार और अधिकारी कितने तत्पर हैं.

शहर का कचरा समेटे गोमती:

  • गोमती में शहर का कचरा नालों के जरिये आकर मिल जाता है.
  • इस नदी के किनारे गन्दगी देख वहां पर कोई शायद ही नहाने की हिम्मत जुटा पाए.
  • नदी में तैरते जलकुम्भी और कचरे को देख समझा जा सकता है कि सफाई यहाँ अरसे से नहीं हुई.
  • वहीँ हनुमान सेतु के छोर पर धोबी घाट जैसा नजारा है.
  • यहाँ धोबी कपड़े धोने और सुखाने का काम करते हैं.
  • वो सारी की सारी गन्दगी भी गोमती में समाहित होती है.
  • सीएम के आदेश के बाद भी सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
  • गोमती नदी के दोनों तटों पर कुड़िया घाट से लेकर लामार्टिनियर स्कूल तक 12.1 किलोमीटर का रिवरफ्रंट बना है.
  • गोमती बैराज के पास 300 मीटर का दायरा कम्प्लीट है।

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सत्ता बदलते ही गंदगी की भरमार

  • तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गोमती के किनारों को खूबसूरत बनाने के लिए रिवर फ्रंट का कायाकल्प किया.
  • सत्ता का परिवर्तन होने के बाद यूपी की योगी सरकार में गोमती के आसपास की सफाई बंद हो गई.
  • गन्दगी की तस्वीरें इस कहानी को खुद बयां कर रही है.
  • इस गंदगी के जिम्मेदार नगर निगम, लखनऊ विकास प्राधिकरण और जल संस्थान के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.
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