उत्तर प्रदेश सरकार से गोमती रिवर फ्रंट योजना की जाँच रिपोर्ट (River Front scam) आरटीआई में देने से मना कर दिया है। आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर ने रिवर फ्रंट योजना की अनियमितता की जाँच हेतु मुख्यमंत्री द्वारा बनायीं गयी जाँच कमिटी, कमिटी द्वारा दी गयी जाँच रिपोर्ट और उस पर की गयी कार्यवाही के अभिलेख मांगे थे।

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सरकार द्वारा मामले में कुछ छिपाने का सन्देश

  • सिंचाई और जल संसाधन अनुभाग-9 के अनुभाग अधिकारी वी एन तिवारी ने यह कहते हुए सूचना देने से मना कर दिया कि इस अनियमितता की जाँच के सम्बन्ध में कार्यवाही प्रचलित है।
  • अतः यह सूचना आरटीआई एक्ट की धारा 8 (ज) में दिए जाने से छूट है। नूतन के अनुसार सरकार का यह निर्णय उचित नहीं है क्योंकि यह छूट मात्र आपराधिक अन्वेषण के सम्बन्ध में है, न कि प्रशासनिक जाँच में, जिससे सरकार द्वारा मामले में कुछ छिपाने का सन्देश जाता है।

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सीएम ने किया था निरीक्षण

  • मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोमती चैनेलाइजेशन (गोमती रिवर फ्रंट) परियोजना का निरीक्षण किया था।
  • उन्होंने योजना में धन का दुरुपयोग होने की बात कहते हुए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की थी जिसने अपनी जांच में ढेरों गड़बड़ियां पायी थीं।
  • इसके बाद मुख्यमंत्री ने मंत्री सुरेश खन्ना को अध्यक्ष बनाते हुए ‘कार्रवाई निर्धारण समिति’ बनाई।
  • तीन चरणों की बैठक के बाद समिति ने अब गोमती फ्रंट परियोजना का स्थलीय निरीक्षण करने का निर्णय लिया है।

आधार कार्ड पर नागरिकता का प्रमाण नहीं, तो प्रमाण क्या है?

  • समिति ने पिछले दिनों रिवर फ्रंट का मौका मुआयना किया।
  • इस दौरान इंजीनियरों के बयान भी दर्ज किए गए।
  • वहीं गोमती रिवर फ्रंट निर्माण कार्य जारी रहने की जानकारी देते हुए सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि भ्रष्टाचार के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
  • गोमती नदी में पर्याप्त पानी नहीं होने की समस्या का समाधान कराने को शारदा नहर से आपूर्ति की बात कही।
  • सिंचाई मंत्री ने बताया कि रिवर फ्रंट को रोकने की मंशा नहीं है परंतु सरकार कम खर्च कर अवशेष निर्माण कार्य पूरा कराने की कार्ययोजना तैयार कर रही है।

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बता दें कि योगी सरकार बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रॉजेक्ट में आने वाले गोमती रिवर फ्रंट घोटाले (River Front scam) में आखिरकार शासन के आदेश पर सोमवार रात को राजधानी के गोमतीनगर थाने में एफआइआर दर्ज करा दी गई। अधिशासी अभियंता शारदा नहर, लखनऊ खंड की तहरीर पर आठ इंजीनियरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। इनमें तीन सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

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क्या है खास बात

  • दर्ज कराई गई रिपोर्ट में खास बात यह है कि करोड़ों के घोटाले में किसी भी नौकरशाह या सफेदपोश का नाम नहीं है।
  • थाना प्रभारी गोमतीनगर सुजीत कुमार दुबे ने बताया कि सभी आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी, वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
  • पुलिस को दी गई तहरीर के साथ 74 पेज की जांच रिपोर्ट भी दी गई है।
  • उन्होंने बताया कि तहरीर के आधार पर गुलेश चंद्र (तत्कालीन मुख्य अभियंता, सेवानिवृत्त), एसएन शर्मा (तत्कालीन मुख्य अभियंता), काजिम अली (तत्कालीन मुख्य अभियंता), शिव मंगल यादव (तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, सेवानिवृत्त) अखिल रमन (तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, सेवानिवृत्त) कमलेश्वर सिंह (तत्कालीन अधीक्षण अभियंता) रूप सिंह यादव (तत्कालीन अधिशासी अभियंता/अधीक्षण अभियंता, सेवानिवृत्त) सुरेंद्र यादव (अधिशासी अभियंता) के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
  • अब पुलिस 74 पन्ने की न्यायिक जांच रिपोर्ट का अध्ययन कर रही है।
  • बता दें कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद के सेवानिवृत्त न्यायधीश आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच के लिए जांच समिति बनाई गई थी।
  • समिति में विशेषज्ञ के रूप में इंजीनियरिंग एवं वित्त संकाय के प्रोफेसर शामिल थे।
  • न्यायिक जांच समिति से तथ्यों के आधार पर जांच कर निष्कर्ष मांगा गया था।
  • जांच समिति ने 15 मई को शासन को आख्या प्रस्तुत कर दी थी।
  • जांच में गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के क्रियान्वयन में विभिन्न अनियमितताओं का उल्लेख किया गया।

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सीबीआई करेगी गोमती रिवर फ्रंट में हुई अनियमितताओं की जांच

  • गोमती रिवर फ्रंट में हुई अनियमितताओं की जांच के लिए नगर विकास विभाग मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में हाई पावर कमिटी बनाई थी।
  • योगी सरकार ने रिवर फ्रंट मामले में न्यायिक समिति की जांच के बाद दोषियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए आदेश दिए थे।
  • खन्ना समिति ने रिपोर्ट में दोषियों पर कार्रवाई के लिए सीबीआई जांच की सिफारिश की है।
  • इसके पहले बनी न्यायिक समिति ने परियोजना से जुड़े जेई, एई, अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता, परियोजना अधिकारी, विभाग अध्यक्ष, प्रमुख सचिव सिंचाई और मुख्य सचिव को दोषी माना था।

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  • खन्ना समिति ने अपनी रिपिर्ट में कहा कि इस परियोजना में हर स्तर पर पैसे की बंदरबांट हुई है, धन का काफी दुर्पयोग हुआ है।
  • ठेके देने में मनमानी की गई और बेहद साठगांठ के साथ काम किया गया।
  • ऐसे में इस परियोजना की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
  • सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने खन्ना समिति की इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
  • हालांकि (River Front scam) रिपोर्ट में समिति किसी की जिम्मेदारी तय नहीं कर सकी।

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