उत्तर प्रदेश के लखनऊ में गोमती नदी के तटों को सजाने और सवारने के लिए गोमती रिवरफ्रण्ट का निर्माण किया जा रहा है. लेकिनं अब इन तटों के तटबंध सुंदरीकरण का भविष्य नई सरकार पर टिका हुआ है.गौरतलब हो कि इस परियोजना के अंतर्गत पक्का पुल के पास से लेकर लामार्ट कॉलेज तक नदी के दोनों तटों को संवारा जाना था.शुरु में गोमती रिवरफ्रण्ट परियोजना को 600 करोड़ रुपये में किया जाना था लेकिन बढ़ते बढ़ते ये लागत 1513 करोड़ रुपये तक पहुँच गई. लेकिन इसके बावजूद भी ये परियोजना अभी पूरी नही हो पाई है.पक्का पुल से लेकर लामार्ट कॉलेज के पीछे तक हर तरफ अधूरा काम नजर आ रहा है.

बजट के चलते काम में आ रही है सुस्ती

  •  इस दौरान बजट के अभाव में गोमती तटों को संवारने में लगी फर्म अब आगे का काम करने से हाथ सिकोड़ने लगी हैं.
  • हालांकि  सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता सुरेंद्र कुमार यादव का दावा है कि काम नहीं रुकेगा.
  • उन्होंने ये भी कहा कि पुनरीक्षित बजट के लिए प्रस्ताव शासन भेजा गया है.

अधूरे पड़े हैं ये काम

  • गोमती रिवरफ्रण्ट को सवारने में लगी फार्म का काम बहुत ही धीरा चल रहा है.
  • बता दें कि काम धीमी गति से होने से झील, रबर डैम, थियेटर, टॉयलेट तक का काम अधूरा है.
  • यही नही पक्का पुल से लेकर गोमती वीयर तक काम अधुरा दिख रहा है.
  • रिवरफ्रण्ट में लगाने के लिए फ्रांस से 40 करोड़ रुपये का फाउंटेन तो आ गया है.
  • लेकिन इस फाउंटेन के लागाने के लिए प्लेटफार्म बनाना काफी जटिल काम है.
  • बता दें की डॉयफ्राम बनाने का काम कर रही फर्म ने भी प्लेटफार्म बनाने से हाथ खड़े कर दिए हैं.
  • इसके अलावा गांधी सेतु के एक तट पर भी काम अधूरा है.
  • वहीँ निशातगंज से लेकर पक्का पुल तक काम बंद सा हो गया है.

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