वाराणसी : ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोडेंगे जी हां ऐसा ही एक युवक ने अपनी जिंदगी दोस्त के नाम कर दी। दरअसल, ऐसा देखा जाए तो ये कहानी अक्सर फिल्मों में देखी जाती है। मगर ऐसी ही जब कहानी रील लाइव से रियल लाइफ की हो तो बात ही कुछ और होगा। जिसमें एक दोस्त ने दोस्त की मौत के बाद एक मिशाल पेश की है। इन दिनों शहर में पूरे चर्चा है। जिसमें लोग उन्हें उनके नाम के बजाय हेलमेट मैंन के नाम से जानते और पुकारते है। जिनकी सराहना केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी कर चुके है।

बिहार के कैमूर जिले के है राघवेंद्र कुमार ।

बिहार के कैमूर जिले के रहने वाले राघवेंद्र कुमार उत्तर प्रदेश के जनपद वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र के समीप रविदास गेट पर लोगों को फ्री में हेलमेट बांटते नजर आए। जिससे लोग उनकी दरियादिली देखकर उनकी तारीफ करने से नहीं बच पाते, लेकिन राघवेंद्र हर किसी को नहीं, बल्कि कुछ शर्तों को पूरा करने वालों को ही फ्री में हेलमेट देते हैं। जिनकी सराहना केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी कर चुके है। राघवेंद्र उन्ही लोगों को फ्री में हेलमेट देते हैं, जिनका हाल ही में चालान कटा हो और चालान जमा वाली रसीद दिखाने पर ही वह लोगों को फ्री में हेलमेट देते हैं या फिर चालान नहीं कटा हो, वैसे लोगों को राघवेंद्र हेलमेट देते हैं। इसके साथ ही वह जरूरतमंद व्यक्ति का 5 लाख का दुर्घटना बीमा भी करवाते हैं। जिसके एवज में वह मात्र एक हजार रुपये लेते हैं, बदले में लोगों को रसीद देते हैं।

अब तक करीब 42000 हजार से ज्यादा लोगों को बाट चुके हैलमेट

उन्होंने बताया कि वह अब तक करीब 42000 हजार से ज्यादा लोगों को हेलमेट बाट चुके हैं। जो तमाम राज्यों के हर शहर में जाकर 10 दिन बिताते हैं और उन दस दिनों में जरूरतमंदों में हेलमेट बांटते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा करने का फैसला 2014 में अपने दोस्त की मौत के बाद लिया। जिसमें उनके दोस्त की मौत सड़क दुर्घटना में हो गई थी। राघवेंद्र का मानना है कि यदि उनका दोस्त हेलमेट पहने हुए होता तो शायद उसकी जान बच जाती। तब से वह लोगों के बीच हेलमेट बांट रहे हैं।

अपने इस काम को लेकर पूरे वाराणसी में चर्चित।

राघवेंद्र अपने इस काम को लेकर पूरे वाराणसी में चर्चित हैं। लोगों का कहना है कि राघवेंद्र भले ही ये अपने दोस्त की याद में कर रहा हो, लेकिन सच तो ये है कि अपने और अपने परिवार के लिए हर किसी को हेलमेट पहनना चाहिए। उन्होंने ने बताया कि मैं इस अभियान द्वारा सरकार को यह संदेश देना चाह रहा हूं कि जो कोरोना महामारी है। इससे बहुत बड़ी है सड़क दुर्घटना उसी को देखते आये दिन जितनी कोरोना से मौत नही होती उससे अधिक तो सड़क दुर्घटना से लोगों की मौत हो रही है।

हैलमेट न पहन लोग अपने परिवार के साथ कर रहे गलत।

राघवेंद्र ने बताया कि पिछले साल जो मोटर वाहन अधिनियम का कानून लागू हुआ था। उसके बावजूद भी जो लोग हेलमेट नही पहन रहे है। कहि न कही वो लोग अपने परिवार के साथ गलत कर रहे है। उन्होंने कहा जिनका वाराणसी के अंदर चालान कटा हुआ है। मैं उन सभी लोगों से अपील कर रहा हूं। जो आपका चालान कटा हुआ है और आपने राजस्व में पैसा जमा कर दिया है, तो रसीद आप मेरे पास लेकर आएं ताकि मैं आपको एक हेलमेट भेज दूं सुरक्षा के लिए और पांच लाख का दुर्घटना बीमा भी दे रहा हूं। ताकि भविष्य में आपके साथ कुछ भी हो आपके परिवार की आर्थिक सहायता मिल सके। घर मे पढ़ने वालों बच्चो की शिक्षा अधूरी न रहे इसलिए मैं उन लोगों को जागरूक कर रहा हूं।

कई लोग भी दे रहे सहियोग,उन्हें किताबो के बदले देते है हैलमेट।

उन्होंने बताया कि कुछ लोग ऐसे है जो मुझे किताबें भी देते है जिनको मैं किताबों के बदले हेलमेट दे देता हूं। वही अभी तक भारत मे अभी तमाम ऐसे राज्य है जिनमें परिवार के आर्थिक स्थिति उतनी सही नही है। जिसके कारण उनके बच्चे नही पढ़ पा रहे है। पैसे न होने के कारण किताबे भी नही खरीद पाते है। जिसकों लेकर मैं लोगों से अपील कर रहा हूं। जिनके बच्चे पढ़ रहे मुझसे आकर निःशुल्क पुस्तकें भी लेकर जा सकते है।

वाराणसी से Uttarpradesh.org के लिए विवेक पांडे की रिपोर्ट।

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