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विवादों में KGMU, सरकार ने दिए मृतक आश्रित फर्जी नियुक्ति पर जांच के आदेश

government ordered investigate KGMU illegal compassionate appointment

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प्रदेश सरकार की ओर से केजीएमयू में कुलपति कार्यालय में चीफ असिस्टेंस पद पर कार्यरत आनंद कुमार मिश्रा की मृतक कोटे में फर्जी नियुक्ति होने के सम्बन्ध में जांच के आदेश दिए हैं. बता दें कि आनंद मिश्रा पर मृतक आश्रित कोटे में अपने पिता के स्थान और फर्जी नौकरी प्राप्त करने का आरोप लगा है. आनंद की मां पहले से केजीएमयू में सरकारी नौकरी पर कार्यरत हैं. इस तरह मृतक आश्रित सुविधा का लाभ उठा कर आनंद मिश्र सालों से नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं. 

मृतक आश्रित कोटे में फर्जी नौकरी का मामला: 

देश का संविधान और कानून नागरिकों की सुरक्षा और आर्थिक और सामाजिक स्थिति को मजबूत करने और उनकी सुरक्षा के लिए बनाया  गया है लेकिन कुछ लोग उन्ही कानून और नियमों का इस्तेमाल अपने फायदे और सुविधा के लिए करते हैं, जिससे न केवल वे नियमों का उल्लंघन करते हैं बल्कि जिन सुविधाओं की जरूरत किसी और को होती है, उसका हक भी कर लेते है.

government ordered investigate KGMU illegal compassionate appointment

वैसे नियमों को तारतार करना किसी एक के बस की बात नहीं होती, जब तक खुद कानून और नियमों के जानकार या वरिष्ठ पद पर आसीन व्यक्ति इन कायदें कानूनों के साथ खेल न खेले.

हम देश के जिस नियम की बात कर रहे हैं, वह है मृतक आश्रित नियमावली. ये नियमावली केंद्र और राज्य सरकार के किसी भी सरकारी विभाग में कार्य करने वाले व्यक्ति की कार्यकाल के दौरान मृत्यों होने पर उसके परिवार के किसी एक सदस्य को नियमानुसार नौकरी प्राप्त करने का अधिकार देता है.

क्या है मामला:

मालमा लखनऊ के किंग जोर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में मृतक आश्रित कोटे के आधार पर फर्जी नियुक्ति का है. जिसमें केजीएमयू के कुलपति मदन लाल भ्रह्मा भट्ट पर भी सवाल उठा दिए हैं.

मामले के मुताबिक़ प्रदेश सरकार के अनु.सचिव कुलदीप कुमार रस्तोगी ने केजीएमयू में कार्यरत आनंद कुमार मिश्र के खिलाफ मृतक आश्रित कोटे में फर्जी नियुक्ति के जांच के आदेश जारी किये हैं.

कुलपति कार्यालय में मिली मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति:

बता दें कि आनंद कुमार मिश्र केजीएमयू के कुलपति कार्यालय में चीफ असिस्टेंस पद पर कार्यरत हैं. आनंद के पिता राम दयाल मिश्र केजीएमयू में ही चतुर्थ क्षेणी कर्मचारी के तौर पर नियुक्त थे. अपनी नौकरी के दौरान हीं उनकी मौत हो गयी थी. जिसके बाद आनंद को उनके साथ पर मृतक आश्रित कोटे में अस्पताल में नौकरी मिल गयी.

1974 मृतक आश्रित नियमावली के आधार पर आनंद कुमार मिश्र को 24 अप्रैल 2004 में उनकी मां मंजू मिश्र के आवेदन पत्र के आधार पर जूनियर क्लर्क/ टाइपिस्ट की नौकरी मिल गयी. बिना 1974 नियमावली के आधार पर पूरी जांच किये.

मां पहले से ही केजीएमयू में स्थाई नौकरी प्राप्त:

लेकिन शिकायत के अनुसार आनंद कुमार मिश्र मृतक आश्रित कोटे में नौकरी के हकदार नहीं है क्योंकि उनकी मां मंजू मिश्र पत्नी स्वर्गीय राम दयाल मिश्र पहले से केजीएमयू में स्थाई नौकरी कर रही हैं. इस आधार पर आनंद मिश्र की पिता के स्थान पर नौकरी में दावेदारी अवैध है जो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 के खिलाफ है.

आनंद मिश्र और मंजू मिश्र के द्वारा मृतक आश्रित कोटे में नौकरी के ल्लिये दावेदारी का आवेदन करते समय केजीएमयू में मंजू मिश्र की नौकरी के विषय में छिपाया गया, साथ ही एफिडेविट में भी इस बात का उल्लेख नहीं गया गया.

क्या कहते हैं नियम:

-नियमों के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के मुताबिक़ प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार मिलता है. अनुच्छेद 16 सरकारी नौकरी में समान मौके देता है.

-वहीं मृतक आश्रित नियमावली 1974 के 5 वें नियम के मुताबिक़ पहली मांग ही है कि मृतक की पत्नी केंद्र या राज्य सरकार के अधीन किसी विभाग में कार्यरत न हो.

-बता दें कि साल 2013 में एक मामले के फैसले के दौरान न्यायमूर्ति बीएस चौहान और एसए बोबदे की पीठ ने कहा था कि संबंधित विभाग को मृतक के परिवार की आर्थिक स्थिति का आकलन करने के बाद उस सदस्य को नौकरी देनी चाहिए, जिसे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो।

पीठ ने कहा कि महज सरकारी कर्मचारी की नौकरी के दौरान मृत्यु होने के आधार पर उसके परिजन नौकरी के लिए दावा करने के अधिकारी नहीं बन जाते।

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