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फर्रुखाबाद: निर्देशों के बाद भी प्राथमिक स्कूलों में इस्लामीकरण जारी

प्रदेश के कई जिलों में सरकारी प्राथमिक स्कूलों में इस्लामिक प्रणाली की तर्ज पर चल रहे स्कूलों का मामला बढ़ता ही जा रहा है. हर रोज एक ऐसे स्कूल की खबर आ रही है जहाँ सरकार के फैसले के विपरीत लगातार इस्लामिया स्कूल चलाये जा रहे हैं. इसी कड़ी में फर्रुखाबाद जिले के शमसाबाद में भी प्रशासन के निर्देशों के बाद भी स्कूल इस्लामिया की तर्ज पर संचालित हो रहा है. 

शमसाबाद में चल रहा इस्लामिया स्कूल:

इस्लामिया स्कूलों पर योगी सरकार के कड़े ऐतराज के बावजूद शमसाबाद का प्राइमरी स्कूल शुक्रवार को बंद रहने के बाद इतवार को पूरे समय खुला रहा. जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी ने साफ़ निर्देश दिए हैं कि जिलों में प्राथमिक स्कूलों में संचालित हो रहे इस्लामिया स्कूल तुरंत बंद कर दिए जाए. इसके बावजूद अधिकारी शासन का संकेत मानने को तैयार नहीं हैं.

सांसद ने जताई नाराजगी:

जिसके बाद क्षेत्र के सांसद ने बेसिक शिक्षा अधिकारी से खंड शिक्षा अधिकारी के निलंबन की सिफारिश तक कर दी है. बता दें कि शमसाबाद के इस इस्लामिया स्कूल में अधिकाँश समय उर्दू की ही पढ़ाई कराई जाती है. यहाँ तक कि स्कूल में केवल मुस्लिम छात्र पढ़ते हैं.

जिले के तीन-चार प्राइमरी स्कूलों को इस्लामिया स्कूल का दर्जा दिए जाने की जानकारी होते ही प्रशासन ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को यह साफ़ कर दिया था कि यह खेल तुरंत बंद हो जाना चाहिए। क्योंकि धर्म और मजहब के नाम पर सरकारी शिक्षा का वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है.

तर्क ये भी बनते है कि यदि सरकारी शिक्षा पर इस्लामिया का ठप्पा लगाया जाता है तो सिख, बौद्ध और जैन भी इसी रास्ते पर जाने को तैयार हो सकते हैं.

मुस्लिम बच्चे ही हैं स्कूल में पंजीकृत:

इस बाबत क्षेत्र के सांसद ने इस्लामिया स्कूलों के खिलाफ नाराजगी भी जाहिर की जिसमें अधिकारियों ने हां में हाँ भी मिला दी. पर इस इतवार को शमसाबाद का इस्लामिया स्कूल पूरे दिन खुला. यह पढ़ाई पिछले जुमे को छुट्टी की ऐवज में रखी गयी.

बता दें कि शमसाबाद का इस्लामिया स्कूल स्वतंत्रता से पहले यानी 1917 से चल रहा है. स्कूल के पास शुरुआत से अब तक के सारे रिकार्ड भी सुरक्षित हैं. इस स्कूल में 150 बच्चे पंजीकृत हैं. सभी बच्चे मुस्लिम हैं. दूसरे समाज के बच्चे यहाँ एडमीशन लेने के लिए आते ही नहीं.

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उर्दू में होती है पढ़ाई:

हालाँकि प्रधानाध्यापक अमित गर्ग ने बताया कि उन्हें और सहायक अध्यापिका अर्चना देवी को भी उर्दू की जानकारी नहीं है। शिक्षा मित्र गाज़िया सुल्ताना सभी कक्षाओं में बच्चों को उर्दू की तालीम देती हैं.

प्रधानाध्यापक अमित गर्ग ने बताया कि वह 2015 से इस विद्यालय में हैं. यहाँ शुक्रवार को स्कूल बंद रहता है और इतवार को खुला रहता है. उपस्थिति रजिस्टर में भी शुक्रवार के दिन लाल रंग के पेन से फ्राई डे लिख कर छुट्टी दिखाई जाती है.

सियासी और तालीमी मामलों में दखल रखने वाले मौलाना एजाज़ नूरी ने कहा कि यह स्कूल इस्लामियां हैं ही नहीं, इसलिए इन स्कूलों को इस्लामिया का नाम नहीं दिया जाना चाहिए। सरकार के पैसे से जो स्कूल चल रहा है वह इस्लामिया हो ही नहीं सकता। जो स्कूल सरकारी पैसे से चल रहा है वह किसी खास मजहब के लिए नहीं हो सकता।

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