उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मंगलवार को संत गाडगे प्रेक्षागृह में प्रेम नारायण मेहरोत्रा द्वारा लिखित पुस्तिका ‘राम नाम की मधुशाला’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर लेखक सहित विशिष्ट अतिथि डाॅ0 पूर्णिमा पाण्डेय पूर्व कुलपति भातखण्डे संगीत संस्थान एवं सम विश्वविद्यालय, उस्ताद युगान्तर सिंदूर सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे। कार्यक्रम में विख्यात नृत्यांगना सुरभि सिंह द्वारा अपनी शिष्याओं के साथ ‘राम नाम की मधुशाला’ पर मनोरम नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी गयी।

राज्यपाल राम नाईक ने पुस्तिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम राम का व्यक्तित्व दिलों में बसने वाला व्यक्तित्व है। भगवान राम के प्रति ज्ञानी, अज्ञानी सभी की श्रद्धा है। भगवान राम का व्यक्तित्व आदर्श पुत्र, पति एवं भाई के रूप में जाना जाता है। शबरी के जूठे बेर स्वीकार करके उन्होंने व्यवहारिकता का भी एक पक्ष प्रस्तुत किया। उनके प्रति देश ही नहीं विदेशों में भी आदर है। इण्डोनेशिया, साउथ एशिया, मलेशिया, थाईलैण्ड, मारिशस आदि देशों में रामायण प्रचलित है। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम के जीवन से प्रेरणा लेकर हम अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं।

श्री नाईक ने लेखक की सराहना करते हुए कहा कि पुस्तक की भाषा अत्यंत सरल एवं सहज है। पुस्तक को पढ़ते समय आभास होता है कि पुस्तक न होकर आपस का संवाद हो। उन्होंने ‘राम नाम की मधुशाला’ पर नृत्य नाटिका प्रस्तुत करने वाले कलाकारों की भी सराहना की।
पुस्तक के लेखक प्रेम नारायण मेहरोत्रा ने बताया कि उन्होंने हरिवंश राय बच्चन की ‘मधुशाला’ से प्रेरित होकर ‘राम नाम की मधुशाला’ के 108 मुक्तक 8 दिन में लिखे हैं। इस अवसर पर आयोजकों द्वारा राज्यपाल एवं विशिष्ट अतिथि डाॅ0 पूर्णिमा पाण्डेय को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया गया। उस्ताद युगान्तर सिंदूर सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे। कार्यक्रम में विख्यात नृत्यांगना सुरभि सिंह द्वारा अपनी शिष्याओं के साथ ‘राम नाम की मधुशाला’ पर मनोरम नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी गयी।

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