गोरखपुर निवासी दीक्षा की उम्र 22 साल थी। एक एक्सीडेंट के दौरान उसको गहरी चोट आयी थी। इलाज के दौरान डॉक्टरों ने दीक्षा को मृत घोषित कर दिया। वर्ल्ड ऑर्गन डे से एक दिन पूर्व दीक्षा के अंगों को दान किया गया। लीवर, किडनी और कॉर्निया डोनेट कराकर 5 लोगों को नई जिंदग‍ी दी गई। केजीएमयू में इलाज कर रहे डॉक्टरों के दीक्षा के अंगों को दान कराया।

सड़क हादसे का हुई थी शिकार:

  • दीक्षा श्रीवास्तव बीटेक की पढ़ाई कर रही थी।
  • दीक्षा गोरखपुर की रहने वाली थी!
  • वो अपने ननिहाल में रहती थी।
  • 9 अगस्त की शाम को गोमतीनगर के वेव मॉल के पास सड़क हादसे का शिकार हो गई।
  • दीक्षा जब सड़क पार कर रही थी तो उसी वक्त एक बाइक सवार ने उसे टक्कर मार दी।
  • इस एक्सीडेंट में दीक्षा बुरी तरह जख्मी हो गई थी।
  • दीक्षा के सिर में गंभीर चोट आने के बाद उसे इलाज के लिए केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था।
  • इलाज में कोई सुधार नही होने से परिजन भी परेशान थे।
  • अंततः 12 अगस्त को डॉक्टरों ने दीक्षा को ब्रेन डेड घोषित कर दिया था।

परिजन अंगदान के लिए हुए राजी:

  • ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग के कांउसलर पीयूष श्रीवास्तव ने परिजनों को अंगदान करने के बारे में जानकारी दी।
  • परिजन अंगदान के लिए तैयार हो गए थे।
  • डॉ. विवेक गुप्ता, डॉ. अभिजीत चंद्रा और डॉ. मनमीत सिंह ने दीक्षा के अंगों को निकालने का काम शुरू किया।
  • लीवर नि‍कालने के बाद उसे एक लाल रंग के वि‍शेष बॉक्‍स में रखा गया।
  • ऑर्गन प्रिजर्वेटि‍व सॉल्‍यूशन और बर्फ के मि‍श्रण में लीवर को रखा गया। शरीर से अलग होने के बाद लीवर की 6 घंटे और कि‍डनी की लाइफ 24 घंटे तक होती है।

आप भी ले सकते हैं ग्रीन कॉरीडोर की मदद 

  • मरीज का जीवन बचाने के लिए न केवल संस्‍थान, बल्‍कि आम आदमी भी ग्रीन कॉरीडोर की मदद ले सकता है।
  • लेकिन 2 घंटे पहले एसपी ट्रैफिक को सूचना देनी होगी ताकि इसके लिए तैयारी की जा सके!
  • हेल्पलाइन नंबर 9454401085 पर संपर्क भी किया जा सकता है!

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