आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले बच्चों को स्कूल ने पिकनिक ले जाने से इनकार कर दिया। स्कूल के सभी बच्चे पिकनिक पर चले गए, लेकिन आरटीई के तहत दाखिला पाने वाले बच्चे मायूसी से उनका मुंह देखते रह गए। गुरुकुल अकादमी में शिक्षा के अधिकार के तहत दाखिला लेने वालों के साथ हुए भेदभाव के बाद बच्चे बोले ‘हम गरीब हैं इसलिए स्कूल नहीं पिकनिक नहीं ले गया।’
आरटीई के छात्रों को स्कूल में ही छोड़ दिया
- आरटीई के तहत सभी निजी स्कूलों की 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब छात्रों को दाखिला मिलता है।
- इंदिरानगर की गुरुकुल अकादमी में भी लगभग 10 छात्रों के प्रवेश हुए थे।
- हालांकि प्रदेश सरकार की ओर से 450 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से फीस स्कूल को दी जाएगी, लेकिन मनमानी फीस न मिलने के कारण स्कूल ने अब भेदभाव करना शुरू कर दिया है।
- स्कूल ने “राइट टू एजुकेशन” के तहत जिन छात्रों ने दाखिला लिया है उन्हें पिकनिक ले जाने से इनकार कर दिया।
- बुधवार को स्कूल सभी छात्रों को पिकनिक पर ले गया, लेकिन आरटीई के छात्रों को स्कूल में ही छोड़ दिया।
- बच्चों के कहने पर क्लास टीचर ने प्रिंसिपल से पूछा तो प्रिंसिपल ने आरटीई के बच्चों को पिकनिक पर ले जाने से साफ इनकार कर दिया।
- सभी अभिभावकों ने अब स्कूल पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है।
- भेदभाव सिर्फ पिकनिक तक ही सीमित नहीं है।
- स्कूल आरटीई के तहत जितने भी एडमिशन हुए है उन्हें दूसरे कमरे में बैठाकर पढ़ाता है।
- इससे पहले भी एक बार यह मामला उजागर हुआ था तब बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से नोटिस जारी किया गया।
- तब कुछ दिन स्कूल ने बच्चों को सही ढंग से पढ़ाया, लेकिन अब फिर से बच्चों के साथ वही रवैया अपनाया जा रहा है।
- उन्हें न सिर्फ अलग बैठाया जा रहा है बल्कि एक ही टीचर उन्हें पढ़ाने के लिए नियुक्त कर दिया है जबकि दूसरे बच्चों को अलग अलग पीरियड लेकर पढ़ाते हैं।
बच्चे हो गए मायूस, कोई सुनने वाला नहीं
- इस संबंध में जब स्कूल की वाइंस प्रिंसिपल सिंधु नायर से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
- हालांकि बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी ने स्कूल पर कार्रवाई के लिए कहा है।
- भेदभाव सिर्फ पिकनिक तक ही सीमित नहीं है।
- स्कूल आरटीई के तहत जितने भी एडमिशन हुए है उन्हें दूसरे कमरे में बैठाकर पढ़ाता है।
- इससे पहले भी एक बार यह मामला उजागर हुआ था तब बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से नोटिस जारी किया गया।
- तब कुछ दिन स्कूल ने बच्चों को सही ढंग से पढ़ाया, लेकिन अब फिर से बच्चों के साथ वही रवैया अपनाया जा रहा है।
- उन्हें न सिर्फ अलग बैठाया जा रहा है बल्कि एक ही टीचर उन्हें पढ़ाने के लिए नियुक्त कर दिया है जबकि दूसरे बच्चों को अलग अलग पीरियड लेकर पढ़ाते हैं।
- पिकनिक ले जाने से इनकार करने पर बच्चे मायूस हो गए।