उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने 3 साल पहले झारखंड से आ रहे एक ट्रक में 13 बोरी गांजा पकड़ा और उसे वही की कोतवाली के मालखाने में केस प्रॉपर्टी के रूप में रखवा दिया। जुलाई 2018 में ट्रायल कोर्ट में साक्ष्य पेश करने की बारी आई तो पता चला कि पूरा 13 बोरी गांजा गायब हो चुका है। वहां तैनात पुलिस अफसरों के पास कोई जवाब नहीं है कि गांजा कहां गया? हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए प्रतापगढ़ एसएसपी को सख्त निर्देश दिए हैं कि दोषी अफसरों की वरिष्ठता की परवाह किए बिना सीओ स्तर के अधिकारी से मामले की पूरी जांच करवाएं। जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस संजय हरकौली ने कहा केस प्रॉपर्टी गायब होगी तो न्याय की प्रक्रिया में बाधा आएगी।

जानकारी के मुताबिक, प्रतापगढ़ में कोतवाली के माल खाने से 13 बोरी गांजा गायब होने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा कि पुलिस की निगाहबानी से केस प्रॉपर्टी गायब हुई है तो कड़े निर्देश तो देने ही पड़ेंगे। प्रतापगढ़ एसएसपी दोषी अधिकारियों की वरिष्ठता की परवाह ना करते हुए कम से कम सीओ स्तर के अधिकारी से इस मामले की विस्तृत जांच करवाएं। इन निर्देशों की प्रति प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी को भी भेजी जाए ताकि वे पुलिस माल खानों में केस प्रॉपर्टी के रखरखाव की हालत जान सकें, व उचित कार्यवाही करें ताकि पुलिस के खराब आचरण से न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में बाधा ना आए।

गौरतलब है कि प्रतापगढ़ में एसटीएफ ने 16 दिसंबर 2015 को झारखंड से आ रहे एक ट्रक में 13 बोरी गांजा पकड़ा। गांजा वहीं की कोतवाली के माल खाने में केस प्रॉपर्टी के रूप में रखवा दिया गया। ताकि कोर्ट में मुकदमा चले तो इस आज के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। बाद में वहां से गांजा गायब हो गया। इस मामले में कोतवाली के एसएचओ हरपाल सिंह और माल खाने के प्रभारी मोहर्रिर मनफूल सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। उन्हें गांजा वापस लाने के लिए कहा गया था। लेकिन वह गांजा वापस नहीं कर पाए। मनफूल सिंह और हरपाल सिंह का कहना है कि दिसंबर 2015 से अब तक 9 एसएचओ जो बदल गए हैं। इसके चलते मनफूल रिटायर हो चुके हैं। हालांकि अभी उसने अगले प्रभारी को चार्ज नहीं दिया है।

हरपाल सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके कहा है कि इस मामले में उनके खिलाफ दायर f.i.r. खारिज की जानी चाहिए। जस्टिस अजय लांबा और संजय हरकौली ने याचिका को सुनने के बाद कहा कि एनडीपीसी एक्ट में जब्त किया गया गांजा पुलिस स्टेशन से गायब हो चुका है। पुलिस स्टेशन को एसएचओ नियंत्रित करते हैं। माल खाना भी उनके अधीन है। उनकी ड्यूटी थी कि वे माल खाने में रखे हुए सामान की नियमित जांच करते रहे। इस मामले में हरपाल सिंह की भूमिका को खारिज नहीं किया जा सकता। यह भी देखना देखने की जरूरत है कि इस समय कहां गायब हुआ? किसने इसकी सूचना नहीं दी? बाद में एसएचओ ने भी गांजा गायब होने की सूचना क्यों नहीं दर्ज कराई? इन सभी हालात में याचिका खारिज की जाती है। हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसे निर्देश इसलिए देने पड़े हैं क्योंकि केस प्रॉपर्टी के रूप में रखा गांजा पुलिस मालखाने से ही गायब हो गया।

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