Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
Uttar Pradesh

विवादित भूमि को राम जन्म स्थली साबित करते हैं हाईकोर्ट के ये तर्क..!!!

HC arguments proved ayodhya dispute land to be Ram janm bhumi

HC arguments proved ayodhya dispute land to be Ram janm bhumi

अयोध्या में स्थित राम जन्म भूमि हिन्दुओं के लिए उनके आस्था का प्रतीक तो वहीं मुस्लिमों के लिए उनकी प्रार्थना का क्षेत्र है. और यहीं वजह है कि सालों से राम मंदिर- बाबरी मस्जिद विवाद का विषय बन कर रह गयी हैं. पहले हाई कोर्ट और फिर अब सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है. सालों से इस विवाद को लेकर न्यायालय में केस चल रहा है,बावजूद इसके अब तक कोई फैसला न आने के पीछे का कारण क्या है?

2010 का एतिहासिक फैसला:

सबूतों का अभाव या किसी भी धर्म की आस्था को चोटिल होने से बचाना.

अयोध्या मामले में साल 1986 में जस्टिस केएम पाण्डेय और साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के तीन जजों ने जिन सबूतों के आधार पर फैसला सुनाया.

[hvp-video url=”https://www.youtube.com/watch?v=_6ecVVVy_-o” poster=”https://www.uttarpradesh.org/wp-content/uploads/2018/09/Ram-janm-bhumi.jpg” controls=”true” autoplay=”true” loop=”true” muted=”false” ytcontrol=”true”][/hvp-video]

उन्हें आज भी झुकला कर सर्वोच्च अदालत में अपील करना और 2010 के बाद अब 18 साल होने पर भी मामला लंबित रहना ये जाहिर करता है कि ये विवाद कितना उलझा हुआ और गम्भीर हैं.

लेकिन आखिर वो कौन से तथ्य और सबूत थे, जिनके आधार पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जजों ने हमेशा से हिन्दुओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विवादित भूमि को श्री राम की जन्म भूमि माना.

कोर्ट ने गुम्बद के नीचे भगवान राम का जन्म स्थली माना:

[penci_blockquote style=”style-2″ align=”left” author=”” font_weight=”bold”]साल 2010 में अयोध्या मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ का फ़ैसला आया कि उस विवादित भूमि पर लगभग 1500 वर्ग मीटर का का स्थल विवादित है और विशेषकर बीच वाले गुम्बद के नीचे ही भगवान राम का जन्म स्थान है.[/penci_blockquote]

इस आदेश के बाद लोगों में कोर्ट के फ़ैसले को लेकर बड़ी उत्सुकता रही.

ये एतिहासिक फैसला सुनाने वाले जज थे, जस्टिस एस यू खान, जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस डी.वी. शर्मा जेजे.

जस्टिस एस यू खान ने सुनवाई के दौरान जन्म स्थान को लेकर कई सवाल उठाते हैं.

जिनके जवाब के आधार पर भूमि के एक हिस्से को जन्म भूमि और अन्य को विवादित बताया.

क्या थें जस्टिस एसयू खान के सवाल और तर्क:

सवाल: जन्म स्थान या जन्म भूमि का क्या मतलब है?

सामान्य रूप से जन्म स्थान का मतलब उस गाँव, कस्बे या शहर से होता है जहां किसी का जन्म होता है.

सवाल: जन्म स्थान का मतलब वो (पांच या दस वर्ग मीटर की बहुत छोटी जगह),जहां भगवान राम की माँ कौशल्या ने उन्हें जन्म दिया?

या फिर वह कमरा, जहां जन्म हुआ?

1500 वर्ग क्षेत्र को कैसे माने राजा का महल?

या जन्म स्थान से मतलब उस महल से है, जहां भगवान राम की माँ रहती थीं.?

बता दें कि उस दौरान कोई भी हिंदू पक्षकार वकील जज के इस सवाल का कोई सटीक उत्तर नहीं दे सका था.”

जस्टिस खान ने कहा कि “राजा दशरथ एक सम्राट थे. पुराने जमाने में जमीन की इतनी मांग नही थी. कई किताबों और गजेटियर्स में लिखा है कि राजा दशरथ का किला बहुत बड़ा था.

भगवान राम की माँ उनकी तीन या चार रानियों में सबसे प्रिय थीं. इसलिए यह नहीं माना जा सकता कि वह केवल 1500 वर्ग गज के महल में रहती थीं.”

जस्टिस सुधीर अग्रवाल के जन्म भूमि के पक्ष में तर्क:

वहीं इस केस के दूसरे जज जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने टीफेनथेलर की किताब का हवाला देते हुए कहा था कि उन्हें स्थानीय लोगों ने साफ़-साफ़ बताया है कि विवादित इमारत एक मंदिर को तोड़कर बनायी गयी, जिसे लोग राम जन्म स्थान मानते थे.

उन्होंने कहा, “किसी से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह आज की तरह ठीक-ठीक निवास स्थान के पते की तरह भगवान राम के जन्म स्थान को खोज देगा.

लेकिन हमें उपलब्ध तथ्यों और परिस्थितियों के अंदर तर्कसंगत और विश्वसनीय तरीके से निर्णय करना है जो असंभव भी नहीं है.”

जस्टिस अग्रवाल ने हिंदुओं के विश्वास को माना था सबूत:

जस्टिस अग्रवाल के मुताबिक वहाँ जरुर कोई गंभीर बात थी कि हिंदू अपना दावा नहीं छोड़ सकेऔर इसीलिए तमाम बाधाओं के बावजूद वे विवादित स्थल पर अपना हक़ जताते रहे.

उन्होंने मुस्लिम पक्षों की एक दलील का उल्लेख करते हुए विवादित जमीन को जन्म भूमि माना, जिसमें कहा गया था कि विवादित परिसर से दो सौ मीटर उत्तर पहले से भगवान रामचंद्र की जन्म भूमि पर एक मंदिर कायम है.

जज ने कहा कि इस बात को स्वीकार करने का मतलब हुआ कि राम जन्म स्थान इसी इलाक़े में स्थित है.

गुंबद को पूजते हैं हिन्दू:

हम इस बात से संतुष्ट हैं और निर्णय देते हैं कि जन्म स्थान विवादित परिसर के भीतर वाले आँगन में तीन गुम्बद वाली इमारत के मध्य गुम्बद के नीचे वह जगह है जिसे हिंदू जन्म स्थान मानकर पूजते हैं. : जस्टिस खान और जस्टिस 

जस्टिस अग्रवाल के मुताबिक़ इस विभाजन के बाद भी हिंदू न केवल भीतर वाले आँगन में घुस जाते थे, बल्कि वे विवादित इमारत के कसौटी के खम्भों पर बनी मूर्तियों और उस स्थान की भी पूजा करते थे.

मस्जिद बनने से पहले भी था राम मंदिर:

उन्होंने कहा था, “यह तो नहीं मालूम कि विवादित मस्जिद से पहले स्थित मंदिर का ढांचा कैसा था लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि बीच वाले गुम्बद के प्रवेश द्वार में कसौटी के खम्भे लगे होने से हिंदू इसे राम जन्म स्थान का केंद्र मानकर पूजते थे.”

जस्टिस अग्रवाल कहते हैं कि गजेटियर्स और दूसरे रिकार्ड्स में विवादित इमारत को राम के किला का हिस्सा बताया गया है. लोगों के विश्वास के अनुसार पूरा किला ही भगवान राम का था. परम्परा और व्यवहार के अनुसार यह बहुत पवित्र स्थान था.

जस्टिस अग्रवाल का निष्कर्ष:

निष्कर्ष में जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि इस तरह हिंदुओं की परम्परा के मुताबिक भगवान राम मध्य गुम्बद के नीचे उस छोटे से स्थान पर पैदा हुए थे, जिसे हिंदू लोग गर्भ गृह कहते हैं (यानि जहां मूर्तियां रखी हैं ) और इस गर्भ गृह समेत बाकी विवादित स्थान पर राम जन्म भूमि मंदिर की इमारत बनी थी.

जस्टिस धर्म वीर शर्मा के तर्क: 

जस्टिस धर्म वीर शर्मा ने कुछ और दस्तावेजों , किताबों और रेवेन्यू रिकार्ड्स का हवाला दिया है. इनमें उस इलाक़े को राम कोट, राम का किला अथवा राम जन्म स्थान लिखा गया है और हिंदुओं की ओर से बराबर संघर्ष और पूजा का जिक्र है.

[penci_blockquote style=”style-3″ align=”left” author=””]इस बात के प्रबल सबूत हैं कि विवादित संपत्ति ही राम जन्म भूमि का स्थान है. इसकी पुष्टि धार्मिक अभिलेखों, धार्मिक पुस्तकों और शिला लेखों से होती है: जस्टिस धर्मवीर शर्मा[/penci_blockquote]

जस्टिस शर्मा ने इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका का हवाला दिया है जिसमें लिखा गया है कि सोलहवीं शताब्दी में मुग़ल बादशाह बाबर ने वहीं मस्जिद बनवाई जो परंपरागत रूप से राम जन्म स्थान माना जाता था और जहां एक पुराना राम जन्म भूमि मंदिर स्थित था.

फैसले के बाद विवादित परिसर में पूजा के लिए मिला स्थान:

इस मामले में जस्टिस शर्मा के अनुसार राम जन्म भूमि हिंदू धर्म का अभिन्न अंग है और वहाँ पूजा करना हिंदू धर्म का मौलिक अधिकार.

जस्टिस शर्मा के अनुसार हिंदू धर्म में पूजा के स्थान को ही देवता माना जा सकता है, भले ही वहां मूर्तियां हों या न हों. इस संबंध में उन्होंने गंगोत्री, यमुनोत्री, गया, केदारनाथ और अमरनाथ जैसे तीर्थ स्थानों का जिक्र किया है.

पैरा 4418 में तीनों जजों ने फैसला दिया कि, “हम इस बात से संतुष्ट हैं और निर्णय देते हैं कि जन्म स्थान विवादित परिसर के भीतर वाले आँगन में तीन गुम्बद वाली इमारत के मध्य गुम्बद के नीचे वह जगह है जिसे हिंदू जन्म स्थान मानकर पूजते हैं.”

[penci_related_posts taxonomies=”undefined” title=”उत्तर प्रदेश की खबरें ” background=”” border=”” thumbright=”no” number=”4″ style=”grid” align=”none” displayby=”uttar_pradesh_categories” orderby=”title”]

Related posts

होटल में चल रहे सेक्स रैकेट का भंडाफोड़, कई गिरफ्तार!

Sudhir Kumar
7 years ago

सीएम योगी आदित्यनाथ- बेहतर कानून व्यवस्था, बेहतर संसाधन, सड़कें, बिजली पानी किसी भी औद्योगिक व्यवस्था का अहम हिस्सा है, बीते 11 महीने नें हमारी सरकार ने कानून का राज स्थापित किया है, यूपी में मेट्रो का संचालन शुरू हो चुका है, 10 शहर स्मार्ट सिटी में चयनित हैं, हमारा लक्ष्य अगले 3 साल में 40 लाख रोजगार पैदा करना है, राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड बनाकर काम किया जा रहा है, निवेश की प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है, निवेशकों की सहूलियत के लिए डिजिटल क्लीयरेंस व्यवस्था बनाई गई है जो सीधे मुख्यमंत्री की निगरानी में है.

Ashutosh Srivastava
6 years ago

उन्नाव- महिला से जबरन दुष्कर्म का आरोप,पुलिस जांच में जुटी।

Desk
4 years ago
Exit mobile version