इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में समाजवादी पार्टी द्वारा साल 2012 विधानसभा चुनाव में जारी घोषणा पत्र में झूठे वायदे किए जाने की एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस मामले पर कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग संविधान द्वारा दी गयी शक्तियों का उपयोग करते हुए उचित फैसले करे।

लैपटॉप व अन्य कई मुद्दों पर की गयी याचिका :

  • न्यायमूर्ति एपी शाही और डॉ. विजयलक्ष्मी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी अजमल खान की दाखिल याचिका पर की है।
  • याचिका में कहा गया है कि 2012 के विधानसभा चुनावों के पूर्व घोषणा पत्र में झूठे वायदे किए गए थे।
  • अजमल खान ने इस मामले पर न्यायलय द्वारा उचित कार्रवाई किये जाने की मांग की गई थी।
  • लैपटॉप बांटे जाने का, मुसलमानों को अनुसूचित जाति का दर्जा देना और सौर ऊर्जा चालित रिक्शे देने का वायदा किया गया था।
  • याचिका में यह कहा गया कि मुसलमानों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाना राज्य सरकार के अधिकार में है ही नहीं तो यह वायदा क्यों किया गया।

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  • इस मामले में निर्णय सिर्फ भारत की केंद्र सरकार ही ले सकती है।
  • जिससे पता चलता है कि सपा ने सिर्फ यह झूठा वादा मतदाताओं को लुभाने के लिए किया था।
  • सरकार से विजय बहादुर सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने घोषणापत्र में किए वायदे को भ्रष्टआचरण नहीं माना है।
  • हाईकोर्ट ने भी सरकार द्वारा किये वायदों को भ्रष्ट आचरण की संज्ञा में मानने से इनकार कर दिया।
  • कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चुनाव आयोग के समक्ष अपनी बात रखने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र है।
  • आयोग के पास अधिकार है कि वह संवैधानिक शक्तियों को प्रयोग कर चुनाव की मर्यादा व प्रतिष्ठा को बनाए रखे।

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