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गाजीपुर: SBSP विधायक के 56 लाख के घोटाले पर जांच प्रक्रिया तेज

प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी तो घोटाले और भ्रष्टाचार से दूर रहने की बात कही गई थी लेकिन इसी भाजपा सरकार के एक विधायक जो सहयोगी दल भासपा के है, उनपर 56 लाख घोटाले का आरोप है.
वहीं इस घोटाले की जांच की प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को एक नोटिस जारी किया है. यह विधायक कोई और नहीं बल्कि जनपद ग़ाज़ीपुर से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक त्रिवेणी राम है।

क्या हैं मामला:

जनपद गाजीपुर के मोहम्मदाबाद ब्लाक के करम चंदपुर गांव में पिछले 4 सत्र से त्रिवेणी राम ग्राम प्रधान रहे हैं. इनके प्रधानी के समय में बहुत सारे घोटाले किए गए हैं. उन्हीं घोटालों की जांच शिकायतकर्ता राजीव रंजन के द्वारा जिला प्रशासन से 2014 में किया गया था।

इनके शिकायत पर जिलाधिकारी के निर्देश पर तत्कालिक जिला विकास अधिकारी सुरेश चंद्र राय ने जांच किया और जांच में 56 लाख रूपये घोटाले की बात पुख्ता हुई थी.

इस घोटाले के अंतर्गत मनरेगा के द्वारा कराए गए कार्य शौचालय, आवास और निर्माण थे. इसी जांच के दौरान कागजी करवाई चलती रही और विधानसभा 2017 का आगाज हो गया.

इस विधान सभा 2017 में ग्राम प्रधान त्रिवेणी राम भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर जखनिया विधानसभा से अपनी किस्मत आजमाई और किस्मत ने उनका साथ दिया. त्रिवेणी राम विधायक बन गए.

विधायक बनने के बाद उन्होंने अपने प्रभाव से जांच प्रक्रिया को दबा दिया. कोई करवाई नही होने पर शिकायतकर्ता राजीव रंजन ने हाई कोर्ट का सहारा लिया. जिसके बाद अब हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को नोटिस जारी कर जांच प्रक्रिया को जल्द से जल्द कराने की बात कही है.

हाई कोर्ट ने दिए जल्द जांच कार्रवाई पूरी करने के आदेश: 

राजीव रंजन ने हाई कोर्ट के नोटिस की कॉपी जिलाधिकारी के बालाजी को रिसीव करा दिए हैं. शिकायतकर्ता राजीव रंजन ने बताया कि कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जांच की प्रक्रिया को तत्काल पूरी कर उसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट को देनी है.

वही नोटिस की कॉपी मिलने पर जिलाधिकारी के बालाजी ने बताया कि कोर्ट के द्वारा नोटिस मिला है और जल्द से जल्द इस पर कार्यवाही कराकर जांच प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.

जब इस पूरे प्रकरण पर विधायक त्रिवेणी राम से जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि कोर्ट का जो भी निर्णय होगा वह मान्य होगा.

लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि यह घोटाले की बात सरासर निराधार है क्योंकि यह पूरा मामला समाजवादी पार्टी के सरकार में हुआ था और उस वक्त राजनीति की भावना से प्रेरित होकर इस तरह के कार्य कराए गए थे।

बताते चलें कि विधायक त्रिवेणी राम जब चुनाव लड़ रहे थे तो अपने नामांकन में भी उन्होंने इस घोटाले की जानकारी अपने शपथ पत्र में नहीं दिया था।

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