बैंकों के पास हो रही लूटपाट और हत्या की संगीन घटनाओं से राजधानी पुलिस सबक नहीं ले रही है। राजभवन के पास कैश वैन से लूट और सिक्योरिटी गार्ड की हत्या भी सोमवार को हुई थी। इसके बाद बैंकों की सुरक्षा बढ़ाने का दावा खोखला साबित हुआ। दो दिन की छुट्टी के बाद सोमवार को बैंक खुला था। बावजूद इसके पुलिसकर्मियों की वहां ड्यूटी नहीं लगाई गई। माना जा रहा है कि अगर पुलिसकर्मी बैंक के बाहर मौजूद रहते तो बदमाश वारदात को अंजाम नहीं दे पाते।

एसएसपी का कहना है कि एएसपी उत्तरी के नेतृत्व में कुल 12 टीमें लगाई गई हैं। इनमें चार टीम टोल प्लाजा और घटना स्थल के आसपास लगे सीसी कैमरे खंगाल रही है। वहीं पांच टीम को जेल से छूटे अपराधियों के बारे में पता करने के लिए लगाया है। यह टीम जेल में बंद अपराधियों से पूछताछ भी कर रही है। तीन अन्य टीम को संदिग्धों से पूछताछ के लिए लगाया गया है। इसके अतिरिक्त एसएसपी ने स्वाट एवं सर्विलांस टीम को सक्रिय कर दिया है। उच्चाधिकारियों ने बैंक के भीतर और बाहर सुरक्षा के कड़े निर्देश जारी किए हैं।

अभी हाल में ही एसएसपी ने सभी थाना प्रभारियों को बैंक में चेकिंग के लिए कहा था। कुछ दिनों तक ग्राहकों और बैंकों की सुरक्षा के प्रति संजीदगी दिखाने के लिए पुलिस ने खूब फोटो खिंचाई और उसे सोशल मीडिया पर साझा भी किया। हालांकि श्याम की हत्या ने हकीकत से पर्दा उठा दिया। अब सवाल यह है कि बैंक के बाहर आखिर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी क्यों नहीं लगाई गई थी? क्या वहां कोई सिपाही या दारोगा तैनात था? अगर किसी की ड्यूटी लगी थी तो वह मौके पर मौजूद क्यों नहीं था? इन तमाम सवालों ने पुलिस की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

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