उत्तर प्रदेश में नकली खून के कारोबार ने फिर से अपने पैर पसार दिये हैं. ताज़ा मामला यूपी के कानपुर जनपद के जीएसवीएम मेडिकल कालेज का है. जहाँ नकली लेबिल वाले ब्लड बैग्स पकड़े जाने के बाद हड़कम्प मच गया है. इस मामले में मेडिकल कालेज प्रशासन ने ड्रग इंस्पेक्टर को लिखित तौर पर कार्रवाई के लिए कहा है. उधर खुफिया विभाग भी इस मामले को लेकर सक्रिय हो गया है.

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कुछ सालों पहले अंडरग्राउंड हो गये थे खून के काले कारोबारी-

  • लाल खून का काला कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है.
  • हालांकि कुछ साल पहले ड्रग विभाग की छापेमारी के बाद इन्सानियत के ये दुश्मन भूमिगत हो गये थे.
  • लेकिन कानपुर मेडिकल कालेज में नकली ब्लड पाये जाने के बाद इनके फिर से सक्रिय होने के सबूत मिले हैं.

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  • बता दें कि यहाँ एक मरीज को चढ़ाने के लिये खून मंगाया गया था.
  • जिसके बाद तीमारदार ने जो ब्लड बैग लाकर दिया, उसके वजन को लेकर डाक्टर को कुछ शक हुआ.
  • इस खून की जाॅच करने पर उसे मिलावटी पाया गया.
  • विशेषज्ञों ने आशंका जतायी है कि लाल खून का काला कारोबार करने वालों ने एक यूनिट से दो यूनिट ब्लड बनाया है.

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  • हालाॅकि इस तरह का ब्लड किस तरह बनाया गया है, इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है.
  • लेकिन इतना साफ है कि बाजार में ब्लड के नाम पर मौत बेची जा रही है.

ब्लड बैंकों से जुड़े हो सकते हैं नकली खून के कारोबारी-

  • खून के काले कारोबार पर शिकंजा कसने के लिये हाल ही में नाको ने नियमों में परिवर्तन किया है.
  • स्टेट ब्लड ट्रान्सफ्यूजन काउन्सिल की बैठक में भी कानपुर के सभी 16 ब्लड बैंकों को गाईड लाईन्स जारी की गयी हैं.
  • ऐसा माना जा रहा है कि नकली खून का कारोबार करने वाले लोग ब्लड बैंकों से जुड़े हो सकते हैं.
  • क्योंकि जिन थैलों में ब्लड संग्रह किया जाता है, वो निर्माता कम्पनी द्वारा लाईसेन्सशुदा ब्लड बैंको को ही सप्लाई किया जाता है.

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  • ऐसे में यह असम्भव है कि कोई बाहरी व्यक्ति इन थैलों को हासिल कर सके.
  • इसके अलावा सबसे चौंकाने वाली बात यह भी सामने आयी है कि नकली खून की थैलियों पर जीएसवीएम मेडिकल कालेज का लेबिल चस्पा था.
  • इस मामले में कानपुर मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक प्रभारी डॉ लुबना खान से भी बात की गई.
  • डॉ लुबना खान का कहना है कि हमें जब इस प्रकरण क बारे में पता चल तो हमने मामले की जाँच की.

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  • उन्होंने कहा कि जो ब्लड बैग इस इस्तेमाल हुए थे वो हमारे यहाँ इस्तेमाल नही होते.
  • साथ ही उस ब्लड बैग पर जो लेबिल और नम्बर पड़े थे वो भी फर्जी बताया हैं.
  • डॉ लुबना का कहना है कि मिलान करने पर ये नंबर हमारे यहाँ के रिकॉर्ड में मौजूद नही थे.

जटिल कानूनी प्रक्रिया के कारण नहीं की जा सकी थी कार्यवाही-

  • हालाॅकि मेडिकल कालेज प्रशासन ने ड्रग इंस्पेक्टर को इस मामले में कार्यवाही के लिये लिखा है.
  • लेकिन क्या ये ड्रग विभाग की ही लापरवाही का नतीजा नहीं है कि लाल खून का काला कारोबार फिर से सिर उठा चुका है.
  • बताते चलें कि कानपुर में कुछ साल पहले चार सरकारी और दस निजी ब्लड बैंको में सिलसिलेवार छापे पड़े थे.
  • लेकिन इसकी जटिल कानूनी प्रक्रिया के कारण किसी के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा सकी थी.

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