पूरे सूबे में भले ही (impact story) सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेशों का पालन हो रहा हो, लेकिन अमेठी जनपद में तो उनके आदेश को राजस्व विभाग ठेंगा ही दिखा रहा है। राजस्व विभाग की मिलीभगत व उदासीनता से वृक्षरोपण हेतु आवंटित की गयी जमीन पर जमकर खेती हो रही हैं।

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  • राजस्व विभाग के कुछ राजस्व कर्मी व अधिकारी और भ्रष्टाचारी ग्रामीण जमकर मनामानी कर रहें हैं।
  • उनको न तो जनपद के जिलाधिकारी योगेश कुमार का डर है और न ही इलाक़ाई जनप्रतिनिधियों का डर है।
  • तभी तो ये सन्त सीएम योगी आदित्य नाथ के आदेशो का खुलकर मखौल उड़ा रहे है।
  • सूबे की योगी सरकार की मंशा जहां एक ओर पर्यावरण की दशा सुधारने को लेकर हैं तो वहीं दूसरी ओर चालाक किस्म के ग्रामीण पर्यावरण को असंतुलित कर उस भूमि पर खेती कर अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं।

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क्या है पूरा मामला

  • अमेठी के मुसाफिरखाना तहसील के रंजीतपुर ग्रामसभा में कुछ चालाक ग्रामीण वृक्षारोपण के नाम पर पट्टा लेकर लगभग 12-13 वर्षो से खेती कर रहे हैं सनद रहे कि ग्राम पूरे पंडा रंजीतपुर निवासी हीरालाल पुत्र राम नरेश को 2004 अप्रैल में गाटा सँख्या 277 में लगभग 10 बिस्वा वृक्षारोपण के लिये पट्टा मिला था।
  • पट्टा तो वृक्षारोपण के नाम पर हुआ था लेकिन इनमें पौधे कभी नहीं रोपे गये यहां खेती की जा रही है।
  • हैरानी की बात यह है कि वृक्षारोपण के लिए जमीन वितरण के बाद कोई भी जिम्मेदार अधिकारी यहाँ नही पहुँचा।
  • जिसके चलते बेख़ौफ़ हीरालाल ‘अनमोल रत्न’ लगाने के बजाय अपनी जेब गरम करने में जुटा है।

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निरीक्षण व निर्देश हवा में, ग्रामीण मजा में

  • जब इस मामले (impact story) को लेकर उपजिलाधिकारी मुसाफिरखाना अभय पाण्डेय को अवगत कराया गया तो उन्होंने कहा कि यदि ऐसा पाया गया।
  • तो निरीक्षण करवाकर उक्त पट्टे को शीघ्र ही निरस्त कर दिया जायेगा लेकिन अभी तक राजस्व की टीम न तो उक्त जमीन पर निरीक्षण करने गयी और न ही किसी प्रकार की कार्यवाही करना उचित समझा।

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खबर से मच गया हड़कम्प

  • हा ये जरूर हुआ कि जब इस मामले को लेकर uttarpradesh.org ने ‘हरियाली हजम, जेब गरम, राजस्व विभाग पड़ा नरम’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की तो राजस्व अमले में हड़कम्प मच गया।
  • मौके की नजाकत को समझते हुए ही राजस्व कर्मी से सूचना पाकर ही हीरालाल ने आनन फानन में 6-10 पेड़ यूकेपलिस्ट्स के रोप दिए।
  • जिससे प्रशासन को गुमराह कर आसानी से कार्यवाही से बचा जा सके।
  • जिससे अब तो यही लगता है वृक्षारोपण जैसी महत्वपूर्ण योजना के क्रियान्वयन के प्रति अधिकारी गम्भीर नहीं दिखाई दे रही है।
  • तभी तो इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने के बावजूद कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है (impact story) और न ही कोई कारवाई की जा रही है।

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