राजनीति तौर पर क्या चिन्हित गांव में ही है मनुष्यों का बसेरा

जिस तरह हर पार्टी अपने  महापुरुषों के नाम पर गांव चिन्हित कर देते हैं मैंने अक्सर कर देखा है उन गांवों को विशेष सुविधा प्रदान होती है। ऐसा क्यों है यहां हर व्यक्ति के मन में उठने वाला सवाल है।सरकार किसी भी पार्टी की क्यों ना हो यह बात देखने को जरूर आगे आई है। कोई भी पार्टी जीते किसी भी पार्टी का नेता हो वह अपने महापुरुष के नाम पर कुछ गांव को चिन्हित करके उनका विकासीकरण करता है। ऐसा क्यों होता यह कभी सोचा है आपने। कोई भी टैक्स हो हम भारतवर्ष के सभी गांव के मनुष्य बराबर – बराबर ही जमा करते हैं। लेकिन ऐसा क्या होता है कि कुछ गांव ही अपने दिए हुए कर का सही मूल्य मिलता है ।
  • क्या मजबूरियां है जो कि विकास करने के लिए कुछ गांव चिन्हित करने को मजबूर हैं नेता ।
  • क्या सभी गांव को बराबर की फैसिलिटी देने से सरकार के पास से कुछ चला जाएगा।
  • या यह सभी गांव को बराबर समानता नहीं देते। इस तरीके से चिन्हित करते हैं गांव।
  • अगर समाजवादी पार्टी सरकार में आई तो वह लोहिया ग्राम सभा के नाम से कुछ गांव चिन्हित करती है
  • बाकी गांव में इनके लिए मनुष्य रहते ही नहीं है,
  • उसी तरीके से बहुजन समाज पार्टी की सरकार आने पर अंबेडकर गांव चिन्हित किए जाते हैं।
  • इनके के लिए सिर्फ इन गांव में ही मनुष्य बसते हैं ।
  • अभी हाल में ही भाजपा ने भी किसान कुंभ ग्रामसभा की शुरुआत टौंक से की है।
विधायक या सांसद द्वारा गोद लिए गाँव का भी थोडा बहुत नाम मात्र होता है विकास
 इस तरीके से भी फैसिलिटी मिलती है कुछ गांव को अगर किसी विधायक या सांसद ने किसी गांव को गोद ले लिया तो उस गांव का भी थोड़ा बहुत विकास हो जाता है। लेकिन विधायक के लिए फिर से वही गांव जरूरी नहीं होता कि वह उस गांव पर ही ज्यादा जोर दें। माना कि विधायक व सांसद पिछड़े गांव को गोद लेते हैं लेकिन क्या जो थोड़ा बहुत विकसित गांव है उसको इसलिए छोड़ देते हैं कि यह गांव पिछड़ जाए फिर कोई ना कोई नेता इस गांव को भी गोद ले किसी किसी गांव की हालत देख कर तुम मुझे यह लगता है कि शायद इस गांव के लोगों ने वोट का बहिष्कार किया होगा लेकिन ऐसा नहीं है।
  • जिस गांव के लोगों ने वोटिंग की है।
  • उस गांव में भी कोई खास विकास विधायक व सांसद नहीं करवाते।
  • क्योंकि इनके लिए हर गांव में मनुष्य नहीं बसते।
अगर जन प्रतिनिधि अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार व्तो कर्मठ हो जाये तो बदल सकती है देश की तस्वीर
विधायक या सांसद जिस क्षेत्र से चुने जाते हैं उस क्षेत्र का हर एक गांव को वह उसी तरीके से देखें जिस तरीके से एक गोद लिए गांव को देखा जाता है। तो शायद ही देश की तस्वीर बदल सकती है। लेकिन अपने ही क्षेत्र में विधायक व सांसद गांव गांव को लेकर भेदभाव करते हैं। यह एक चिंतनीय विषय है। मैंने गांव के ग्रामीणों को आपस में चर्चा करते हुए यह देखा है कि विधायक ने उस गांव को गोद लिया है। तो वह गांव एकदम से चमक जाएगा। लेकिन वह कभी अपने चुने हुए प्रतिनिधि से यह बात नहीं रख पाते की आप ने जो गांव गोद लिया है।
  • उसके साथ- साथ सभी गांव का  विकास करेंगे , तो शायद कोई भी गांव पिछड़ा नहीं रहेगा।
  • क्यों चिन्हित करके किया जाता है गांवों का विकास क्या चिन्हित गांव में ही मनुष्यों का बसेरा है।
  • यह एक गंभीर सवाल गांव के लोगों में पनपता है।
  • शायद गांव के लोग यह बात नेता व राजनेता से कह नहीं पाते, इसलिए गांव के लोगों को किया जाता है नजरअंदाज।

स्पेशल रिपोर्ट:- संजीत सिंह सनी

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