सांसद द्वारा गोद लिए गये गांव में आज भी लगा है समस्याओं का अंबार

सांसद मुरली मनोहर जोशी द्वारा गोद लिए गये गांव में आज भी लगा है समस्याओं का अंबार। सड़क, सुरक्षा, शौचायल, स्वच्छता और शिक्षा के नाम पर यहां कोई कार्य नहीं कराया गया। आज भी महिलाएं, पुरूष, युवक और युवतियां खुले में शौंच को विवश हैं। प्रधानमंत्री की रसोई महज कुछ ही घरों में पहुंची हैं, बाकि ग्रामीण चूल्हे में भोजन पका कर अपना पेट भर रहे हैं। गांव में पीने के पानी की विकराल समस्या है, जिसके निदान के लिए सांसद जोशी ने कुछ नहीं किया।
गांव में दस्तक देते ही जलभराव से आमजन को हरदिन रूबरू होना पड़ता है।
  • पांच हजार आबादी को इलाज मिले,
  • इसके चलते यहां समुदायिक केंद्र सरकार ने खोला हुआ है,
  • जो सप्ताह में सिर्फ दो दिन ही खुलता है।
  • धार्मिक नगरी बिठूर से पहले सिंहपुर कछार गांव पढ़ता हैं,
  • जिसे कानपुर नगर के सांसद मुरली मनोहर जोशी ने तीन साल पहले गोद लिया था।
गांव को गोद लेकर सवांरने का बीढ़ा उठाया था पर देखने के लिए आये मात्र 2 बार
कानपुर नगर से महज चार किमी की दूरी पर स्थित सिंहपुर कछार गांव गंगा के किनारे बसा है। गांव की आबादी लगभग चार हजार के आसपास है। तीन साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों को एक-एक गांव गोद लेकर उसे आदर्श गांव बनाने के निर्देश दिए थे। इसी के चलते शहर से भाजपा के सांसद डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी ने इस गांव को गोद लेकर सवांरने का बीढ़ा उठाया था। लेकिन तीन साल बीत जाने के बाउ डॉक्टर साहब बीमार गांव को ठीक नहीं कर पाए।
  • गांववालों का कहना है कि सांसद सिर्फ दो बार गांव आए हैं
  • एकबार पंचायत भवन में बैठक कर बिजली व्यवस्था और पेयजल की समस्या से छुटकारा देने का भरोसा देकर चले गए।
  • इसके बाद वो कभी गांव नहीं आए। हमलोग उनके कार्यालय जाकर समस्याओं के बारे में बताते हैं, पर सुनवाई नहीं होती।
  • गांव में स्वच्छ पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं होने के चलते हमलोग बाजार से पानी खरीदकर पीते हैं।
सिर्फ शोपीस भर बने शौचायल
 गांव की रजन्ना बताती है कि हमें घर से आधा किमी की दूरी पर खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है। हमने ग्राम प्रधान से कईबार शौचालय बनवाने के लिए कहा, सीडीओ सये मिली, पर कहीं सुनवाई नहीं हुई। रज्नना देवी की सास जिनकी उम्र 70 से अधिक है, उनका कहना था कि बबुआ बड़े साहब एकबार आए थे। हमने उनसे शौचायल के लिए कहा था। उन्होंने आश्वासन दिया था, लेकिन शौचालय हमें नहीं मिला।
  • भोर पहर अपनी नातिन के साथ खेत में जाना पड़ रहा है।
  • गांव की बुजुर्ग महिला बविता देवी ने भी शौचायल बनने के बाद उसमें सीट नहीं रखवाए जाने की बात कही।
  • वो भी खुले में शौच को विवश हैं।
  • गांव में करीब तीस फीसदी शौचालयों का निर्माण कार्य दो माह पहले हो गया था,
  • लेकिन इनमें से अधितकर में सीटें नहीं रखवाई गई।
  • जिसके चलते ये सिर्फ शोपीस बनकर रह गए हैं।
गांव में कदम रखते ही हुए जलभराव और कूड़े-कचरे के दर्शन
गांव के बीडीसी सदस्य ने बताया कि दो साल पहले सांसद जी गांव आए थे और सड़क पर उनकी कार रूकी। हम सब दौड़कर उन्हें गांव के अंदर आने को कहा, लेकिन वो गाड़ी से नहीं उतरे। हमने उन्हें जलभराव व नालियों के निर्माण की बात कही, जिस पर उन्होंने जल्द समस्या का निराकरण का भरोसा दिया था। लेकिन न जाने कितने दिन गुजर गए, पर समस्या ज्यों का त्यों मुहंबाए खड़ी है। सांसद के गोद लिए गांव में कदम रखते ही जलभराव और कूड़े-कचरे से आमजन को रूबरू होना पड़ता है।  राजू कहते हैं कि ग्राम प्रधान व बिठूर के विधाकय अभिजीत सिंह सांगा ने बड़े समाज के लोगों की गलियों में नालियां व शौचायल बनावा दिए,
  • लेकिन दलित व अन्य लोगों के साथ भेदभाव किया।
गांव सिंहपुर में गरीबों को नही मिला रसोई गैग कनेक्शन योजना का लाभ
गांव में बड़े लोगों के घरों में एक नहीं, चार-चार रसोई गैस दिए गए। प्रधानमंत्री ने गरीब परिवारों को रसोई गैस के साथ चूल्हा पूरे देश में बांटा, लेकिन सांसद के गोद लिए गांव सिंहपुर में गरीबों को इस योजना का लाभ नहीं मिला। पांच सौ से ज्यादा गरीब परिवार चूल्हे में खाना बनाने को मजबूर हैं। अंजली देवी जिनका घर गांव के बाहर बना है ने बताया कि हमने प्रधानमंत्री की इस योजना के तहत रसोई गैग कनेक्शन के लिए प्रधान व सचिव से कहा, लेकिन उन्होंने हमें नहीं दिया।
  • वहीं अजय कठेरिया कहते हैं कि सरकार की कोई भी योजना का लाभ हम गरीब तबके के लोगों को नहीं मिलता।
  • अधिकारियों से शिकायत करो, या फरियाद लगाओ, लेकिन उनके दिल में हमारे लिए कोई जगह नहीं है।
सप्ताह में  सिर्फ दो दिन खुलता अस्पताल
सिंहपुर कछार के साथ ही आसपास के गांव के लोगों को इलाज मिले उसके लिए सरकार ने यहां पर समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खुलवाया है, लेकिन बुधवार को जब मीडिया टीम मौके पर पहुंची तो वहां पर ताला लटक रहा था। इलाज के लिए आए लोगों ने बताया कि ये अस्पताल सप्ताह में सिर्फ दो दिन खुलता है। यहां डॉक्टर की जगह पोलियो पिलाने वाली महिलाएं इलाज करती हैं। छात्रा ने बताया कि मौसमी बीमारियों का सीजन चल रहा है और हररोज दर्जनों लोग इलाज के लिए यहां आते हैं, लेकिन ताला बंद होने के चलते शहर जाकर इलाज करवाने को विवश होते हैं।
सफाईकर्मियों के चलते गांवों में गंदगी
  • वहीं गांव इसी गांव के स्कूल की निरीक्षण करने के लिए पहुंचे सीडीओ अरूण कुमार से जब बदहाल गांव के बारे में पूछा गया
  • उनका कहना था कि हां कुछ जगह शौचायल नहीं बने।
  • वहीं सफाईकर्मियों के चलते गंदगी गांवों में मिल रही है।
  • इसी के कारण निरीक्षण किया जा रहा है और दोषियों पर कार्रवाई भी की जा रही है।

[penci_related_posts taxonomies=”undefined” title=”Up news” background=”” border=”” thumbright=”no” number=”6″ style=”grid” align=”none” displayby=”recent_posts” orderby=”random”]

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें