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रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग फसल के साथ ही किसानों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक -डॉ ज्ञान प्रकाश सिंह

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रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग फसल के साथ ही किसानों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक -डॉ ज्ञान प्रकाश सिंह

#उन्नाव :

भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन क्षेत्रीय केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र लखनऊ द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र, धौरा, उन्नाव परिसर में दो दिवसीय आई. पी एम. ओरिएंटेशन एच. आर. डी. कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
रीजनल सेंट्रल आई. पी. एम. सेंटर के प्रभारी अधिकारी डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह, उप निदेशक ने आई. पी. एम. की वर्तमान प्रासंगिकता, महत्व, आई. पी. एम. की विधियों तथा उसकी उपयोगिता का संक्षिप्त वर्णन किया। डॉ सिंह ने बताया कि कृषकों द्वारा रासायनिक कीटनाशी के अंधाधुंध एवं अनुचित उपयोग से रासायनिक कीटनाशकों के अवशेष कृषि उत्पादों के साथ भोजन श्रृंखला के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करता है और मनुष्यों में कैंसर जैसी तमाम बीमारियों का एक प्रमुख कारण बनता है। डॉ सिंह ने आई. पी. एम. के अंतर्गत जैविक फंफूदनाशी जैसे ट्राईकोडर्मा से बीज एवं मृदा उपचार तथा ब्यूवेरिया बैसियाना से मृदा उपचार, मेटाराइजियम एनिसोपली का छिड़काव, पीला एवं नीला चिपचिपा प्रपंच, फेरोमोन ट्रैप, प्रकाश प्रपंच, नीम सीड कर्नल एक्सट्रैक्ट इत्यादि का प्रयोग रासायनिक कीटनाशी के विकल्प के तौर पर प्रयोग करने के लिए कृषकों को प्रेरित किया। श्री सिंह ने बताया कि एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (आई पी एम) अपनाने से रासायनिक कीटनाशी पर लगने वाला लागत कम होने के साथ – साथ बगैर कीटनाशी के कृषि उत्पाद पैदा होगा जिसके विपणन एवं निर्यात से अच्छा मूल्य मिलेगा जो कि किसानों की आय दोगुनी करने हेतु एक महत्वपूर्ण एवं प्रभावी उपाय है मोहित कुमार सिंह, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केन्द्र, धौरा, उन्नाव ने रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध एवं असुरक्षित उपयोग से मानव शरीर एवं पर्यावरण पर होने वाले दुष्परिणाम के बारे में बताया और साथ ही साथ कहा कि आई. पी एम. वनस्पति संरक्षण के साथ साथ पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता एवं प्रकृति को सुरक्षित तथा समाज को स्वस्थ एवं संपन्न बनाने का महत्वपूर्ण आयाम है। अध्यक्ष जी ने कहा कि किसानों द्वारा रासायनिक कीटनाशी के अत्यधिक एवं गलत उपयोग के कारण फसल उत्पादन की लागत बढ़ रही है और साथ साथ विभिन्न कृषि उत्पादों में रासायनिक कीटनाशकों के अवशेष की वजह से निर्यात प्रभावित हो रहा है।डा. अर्चना सिंह, वैज्ञानिक, के. वी. के. ने कृषकों को मुख्य फसल के साथ – साथ किचन गार्डन में भी आई. पी. एम. अपनाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में उपस्थित बिजेंद्र सिंह, सहायक निदेशक आर सी आई पी एम सी ने आई. पी. एम. की संकल्पना, सिद्धांत एवं अवयव के बारे में बताया।कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. जय कुमार एवं एवं श्रीमती रचना सहाय ने कृषकों को पादप सुरक्षा की नई तकनीक से अवगत कराया। कार्यक्रम का सफल संचालन श्री अमित सिंह, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी ने किया। कार्यक्रम में क्षेत्रीय केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र के श्री. के. पी. पाठक, श्री अमित कुमार सिंह, वनस्पति संरक्षण अधिकारी तथा डॉ राहुल सुतार, डॉ केशवमूर्ति एवं श्री धर्म राज सिंह सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी ने आई पी एम से संबंधित सभी विषयों के बारे में कृषकों को प्रशिक्षण दिया और साथ साथ ही आई पी एम प्रदर्शनी के माध्यम से किसानों को आई पी एम की विभिन्न तकनीकी से अवगत कराया।

Report – Sumit

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