पूरे देश में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन हम महिलाओं द्वारा किये गए बेहतर काम और उनकी जीवन शैली को लेकर समाज में दिए गए योगदान को लेकर उनका सम्मान करते हैं। महिला दिवस के इतिहास की बात करें तो सबसे पहले इसे साल 1909 में मनाया गया। इसके बाद इस दिवस को सन् 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने मान्यता दी। फिर तो दुनियाभर के देशों में इसे समारोहपूर्वक मनाया जाने लगा।

इस दिवस का मकसद महिलाओं के प्रति सम्मान, उनकी प्रशंसा और उनके प्रति अनुराग व्यक्त करना है। इस दिन खासकर उन महिलाओं के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। जिन्होंने आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में अहम उपलब्धियां हासिल की हैं। खासकर महिलाओं के संघर्ष का उल्लेख करते हुए उनकी सफलता की बानगी पेश की जाती है।

ऐसी ही एक महिला राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से पढ़ी व वहीं असिस्टेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट के पद पर कार्यरत शशी बाला सिंह आज की नारी शक्ति के स्वतंत्र सोच, दृढ़ इच्छा शक्ति व कभी न थकने वाली जीवन शैली की प्रतिमूर्ति है। सन 1977 मे सिर्फ एप्रन पहननें की ललक व मानव सेवा की तत्परता के लिए बस्ती के एक छोटे से ग्राम को छोड़ लखनऊ की ओर बिना किसको का बताए नर्स बनने निकली पड़ी।

शशी कहती हैं कि सन 70 के दशक में गांव की लड़कियों में पढ़ाई का चलन ही नहीं था 10,12 साल की उम्र मे ही लड़कियों की शादी कर दी जाती थी। पिता जी शहर में रहते थे तो वो चहते थे की उनकी लड़कियां शहर की लड़कियों की तरह पढ़ें, लेकिन माता जी व पूरा परिवार के साथ-साथ पूरा गांव लड़कियों का कम उम्र में विवाह कर उसे ससुराल भेजने को ही जीवन मे लड़कियों की सफलता का पैमाना मानते थे।

उन्होंने बताया कि एक बार बीमार पड़ी तो लखनऊ इलाज करवाने आना पड़ा उस वक़्त सरकारी अस्पताल मे नर्सों की यूनिफार्म, उनको मिलने वाले सम्मान व उनकी मानव सेवा की लगन देख मन ही मन नर्स बनने का फैसला लिया। उस वक्त घर छोड़ और स्वयं के जोड़े पैसे व ट्यूशन पढ़ाकर अपने नर्सिंग का चार वर्ष का कोर्स पूरा किया।

जीवन में बहुत से उतार चढ़ाव को देखते हुए आज भी असिस्टेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट के रूप मे मानव सेवा मे हूँ। शशि बाला सिंह ने कई लड़कियों को अपने पैसे से नर्सिंग ट्रेनिंग करवाई। आपके द्वारा पढ़ाई गई लड़कियां देश के विभिन्न अस्पतालों में अपनी सेवाए दे रही हैं। आज भी अगर कोई लड़की नर्सिंग ट्रेनिंग करना चाहती है तो शशि उनका पूरा सहयोग करती हैं।

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Web Title : International Women’s Day: KGMU nurse shashi bala singh interview
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