यह सवाल है उन तमाम शोषित, पीड़ित भारतीय महिलाओं का, जो समाज के तमाम अत्याचारों और कुरीतियों झेलते हुए, उनसे लड़ते हुए आज मिशाल के तौर पर उभर कर सामने आई हैं, जो समाज के लिए एक सबक बनी हैं। ऐसी महिलाएं जिन पर बीते दिनों एसिड अटैक जैसा भीषण अत्याचार हुआ जिसके बाद उन्होंने अपराधियों से लड़ने का बीड़ा उठाया, हिम्मत जुटाई और अपने पैरों पर खड़े होकर अपनी सुरक्षा और अपने भरण पोषण का जिम्मा खुद उठाया है।

InternationalWomensDay :-

  • यह एक मुलाकात है एसिड अटैक पीड़ित महिलाओं से।
  • अंशू, कविता, रेशमा, या प्रीती इन सभी में जो चीज एक जैसी है वह है एसिड हमला।
  • एसिड की जलन के दर्दनाक और झुलसाने वाले अनुभव को झेलने वाली यह महिलाएं समाज के सामने अपनी बहादुरी से एक मिसाल पेश कर रही हैं।
  • जो प्रदेश ही नहीं पूरे देश के अपनी हिम्मत, काबिलियत की मिशाल पेश कर समाज के लिए सबक बन रही हैं।
  • आपको बता दें कि हम बात कर रहे हैं उन एसिड अटैक पीड़ित महिलाओं की जो लखनऊ स्थित ‘शिरोज हैंगआउट कैफे’ को अपने दम पर संचालित करती हैं, और खुद के भरण पोषण का जिम्मा उठाती हैं।
  • इतना ही नहीं ये सभी महिलाये मिलकर रेस्टोरेंट सञ्चालन के साथ तमाम तरह के हुनर भी सीखती हैं, और समाज को शशक्त नारी का शंदेश भी देती हैं।
  • वहीं इन तमाम पीड़ित महिलाओं से नारी शशक्तिकरण और महिला सुरक्षा की बातचीत पर उन्होंने अपनी राय दी।

महिलाओं का सम्मान एक ही दिन क्यों होता है, हर दिन क्यों नही होता..?

  • उनका मानना है, कि महिलाओं का सम्मान एक ही दिन क्यों होता है, हर दिन क्यों नही होता..?
  • सिर्फ 8 मार्च को ही लोगों को उनका सम्मान याद क्यों आता है ?
  • बाकी के पूरे साल में महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है।
  • तमाम अपराधों की शिकार हो जाती हैं महिलाएं।
  • वहीं सुरक्षा के सवाल पर उनका मानना है कि महिलाओं और लड़कियों को अपनी सुरक्षा खुद करनी चाहिए।
  • उन्हें डरना नहीं चाहिए, महिला अपराध के खिलाफ हिम्मत करनी चाहिए, लड़ाई लड़नी चाहिए।
  • किसी दूसरे व सरकार के भरोषे सुरक्षा की मिन्नतें नहीं करनी चाहिए।
  • उनका कहना कि सरकार बदलती रहती है, लेकिन आये दिन महिलाओं को सताया जाता है, महिला अपराध पर रोकथाम नहीं लग रही है, इस पर सरकार का ढीलाढाला रवैया है।
  • इसलिए महिलाओं को अपनी सुरक्षा का जिम्मा खुद उठाना चाहिए।
  • समाज का भ्रम तोड़कर महिलाओं को अपने पैरों खड़ा होना चाहिए, महिलाएं बहुत कुछ कर सकती हैं।
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