2019 के लोकसभा चुनावों के पहले सभी की नजर कैराना लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर टिकी हुई है। कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद देश भर में भाजपा एक संदेश देना चाहती है कि 2014 की तरह मोदी लहर आज भी कायम है। विपक्षी दलों के लिए इस लहर से पार पाना एक बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि कैराना में सपा ने रालोद की पकड़ को समझते हुए उससे गठबंधन किया है। इस बीच जाटों के सबसे बड़े संगठन ने कैराना उपचुनाव के लिए अपने समर्थन का ऐलान कर दिया है जिसके बाद नए समीकरण बनते हुए दिखाई दे रहे हैं।

कैराना की सपा-भाजपा ने की तैयारी :

जातिगत समीकरण को देखते हुए सपा ने रालोद के साथ गठबंधन किया है और रालोद के सिम्बल पर अपनी नेत्री चौधरी तबस्सुम हसन को उतारा है। सपा को यकीन है कि रालोद के सिम्बल से जाटों का तबस्सुम हसन ने नाम पर मुस्लिमों का वोट आसानी से मिल जाएगा। वहीँ भाजपा ने अपने दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। भाजपा को यकीन है कि सांसद के निशान से उसे जनता की संवेदना मिलेगी और भाजपा प्रत्याशी की जीत हो जायेगी। इस बीच जाटों के एक बड़े संगठन ने इस उपचुनाव के लिए अपने समर्थन का ऐलान कर दिया है।

 

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जाट आरक्षण समिति ने किया ऐलान :

शामली में मीडिया से बात करते हुए जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने जाट समाज से बड़ी अपील कर डाली। उन्होंने कहा कि कैराना लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में जाट समाज भाजपा को हराने का काम करे। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जाट आरक्षण नही तो भाजपा को वोट नही मिलेगा। इस ऐलान के बाद भाजपा की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं।

 

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