उत्तर प्रदेश की जेलें कैदियों की कब्रगाह बनती दिखाई दे रही हैं। ये हम नहीं बल्कि एक आरटीआई में ऐसा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यूपी के आगरा जिले के आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस द्वारा मांगी गई सूचना के अनुसार वर्ष 2012 से जुलाई 2017 के बीच जेल की चहारदीवारी के भीतर दो हजार से अधिक कैदियों-बंदियों की जिंदगी का सूर्यास्त हो गया। हालांकि ये बड़ा सोचनीय विषय है लेकिन सत्य भी है। (prisoners deaths)
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- जहां एक ओर यूपी की योगी सरकार लगातार जेलों के सुधार की बात कर रही है।
- इतना ही नहीं जेलों में गौशाला खोले जाने की बात तक की जा रही है।
- यहां तक की जेलों को हाईटेक करने की योजनाएं बना रही है।
- वहीं उत्तर प्रदेश की जेलें कैदियों की कब्रगाह बनती जा रही हैं।
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ये हैं कुछ जेल में मरने वालों के आकंड़े
- 24 मई 2013 को हरदोई जिला जेल में वंदना के छह महीने के पुत्र प्रिंस की मौत हुई।
- 18 अक्टूबर 2014 को मथुरा जिला जेल में जुमराती के नवजात बच्चे की मौत हो गई।
- 18 सिंतबर 2014 को कानपुर देहात जेल में रामकली के नवजात पुत्र की मौत हो गई।
- 21 सिंतबर 2014 वाराणसी जेल में रेखा के डेढ़ महीने के बेटे ने दम तोड़ दिया।
- 10 मई 2013 को बुलंदशहर जिला में निरुद्ध 106 साल की रामकेली पत्नी स्वरूप की मौत हो गई।
- 02 दिसंबर 2016 को बस्ती जिला जेल में 100 साल के बंदी वासुदेव ने दम तोड़ा।
- इसके अलावा सीतापुर जेल में कुंदना पत्नी सुरजाना के एक साल के बेटे अनमोल ने इस साल दम तोड़ दिया। (prisoners deaths)
- जेलों में मरने वालों में नवजात बच्चे भी शामिल हैं।
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जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद
- जेलों के भीतर निरुद्ध कैदियों की मौतों का कारण जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों का होना भी है।
- आगरा जिला जेल की क्षमता 1015 कैदियों की है, लेकिन यहां 2600 से ज्यादा कैदी निरुद्ध हैं।
- केंद्रीय कारागार में 1110 कैदियों की क्षमता है लेकिन यहां 1900 से ज्यादा बंदी हैं।
- जेलों में कैदियों की होने वाली मौतों में बड़ी संख्या बुजुर्गों की हैं।
- हालांकि इनमें ज्यादातर टीबी, दमा और उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे।
- बैरकों में क्षमता से अधिक कैदियों के चलते टीबी जैसी बीमारी तेजी से फैलती है।
- खुले में न रहने के कारण कैदियों की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है।
- वहीं दूसरी ओर जेलों में सुधार के लिए गठित मुल्ला कमेटी की सिफारिशें 25 साल बाद भी धूल फांक रही हैं।
- इसमें जेल नियमावली में संशोधन के साथ ही कैदियों के पुर्नवास से संबंधित सिफारिशें की गई थीं, जिन्हें आज तक लागू नहीं किया गया। (prisoners deaths)
- ऐसे में जेल को कैसे हाईटेक बनाया जा सकता है ये गौर करने वाली बात है।
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किस साल हुईं कितनी मौतें
- आरटीआई के तहत दी गई सूचना के अनुसार वर्ष 2012 में 360 मौते हुई हैं।
- वर्ष 2013 में 358 मौते हुई हैं।
- वर्ष 2014 में 339 मौते हुई हैं।
- वर्ष 2015 में 359 मौते हुई हैं।
- वर्ष 2016 में 412 मौते हुई हैं।
- वर्ष 2017 में 188 मौते हुई हैं।
- ये आंकड़ा वर्ष 2012 से जुलाई 2017 के बीच हुई मौतों का है। (prisoners deaths)
- सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना के तहत जेलों में प्रदेश की 62 जिला जेल, 5 सेंट्रल जेल और 3 विशेष कारागार हैं।
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Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.