चारा घोटाले में दोषी लालू यादव पर सजा का ऐलान शुक्रवार को हुआ. कल लालू यादव को वापस जेल भेजा गया था. लालू यादव पर सजा का एलान हो गया. विगत दो दिनों से सजा का ऐलान नहीं हो सका था. रांची में एक विशेष सीबीआई अदालत ने नौ सौ पचास करोड़ रुपये के चारा घोटाले मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, आर के राणा, जगदीश शर्मा एवं तीन पूर्व आईएएस अधिकारियों समेत 16 लोगों को गुरुवार को सजा सुनाई जाने वाली थी, लेकिन शुक्रवार तक के लिए फैसले को टाल दिया गया था. लालू यादव को साढ़े 3 साल की जेल और 5 लाख रूपये का जुर्माना भरने की सजा सुनाई गई थी. लेकिन इसके पीछे एक बड़ा खुलासा हुआ है और ये ख़बरें हैं कि इसके पीछे यूपी में कार्यरत एक आईएएस अधिकारी भी थे जिन्होंने जज को फ़ोन कर लालू यादव के लिए पैरवी की थी. 

लालू की जज से सिफारिश जालौन डीएम ने की थी:

सूत्रों के मुताबिक, जालौन डीएम ने सीबीआई जज को फोन किया था. डीएम ने रांची में विशेष सीबीआई जज को फोन किया था. वहीँ एसडीएम जालौन ने भी जज को फोन किया था. बताया जा रहा है कि लालू यादव की सिफारिश के लिए फोन किया था. सीबीआई जज शिवपाल सिंह जालौन के निवासी हैं. डीएम और एसडीएम ने रांची फोन किया था. जालौन डीएम मन्नान अख्तर का नाम सामने आने के बाद ये खुलासा हुआ कि चारा घोटाले में लालू को बचाने की पैरवी की थी.  गौरतलब हैं कि जज शिवपाल सिंह ने कोर्ट में कहा भी था कि कई शुभचिंतकों के फोन आ रहे हैं.

जालौन में खुद ही न्याय की की उम्मीद में सीबीआई जज :

रांची में लालू यादव को सजा सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह के घरवाले जालौन के स्थानीय अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं. लगातार अधिकारियों के चक्कर लगाने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है.शिवपाल सिंह जालौन के गांव शेखपुर खुर्द के निवासी हैं जहाँ अपनी पैतृक जमीन के बीच से चक रोड निकल जाने से वे परेशान हैं. इसमें वे कई बार स्थानीय आला अधिकारियों के पास जा चुके हैं, मगर अधिकारी उनकी समस्या पर गौर नहीं कर रहे हैं. डीएम के फ़ोन करने को इस विवाद से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

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