उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुए बहुचर्चित जवाहरबाग काण्ड के 3 आरोपियों विवेक यादव, प्रेमचंद्र और चन्दन बोस के जेल परिवर्तन किए गए. इन आरोपियों को आज मथुरा जेल से हटा कर आगरा और अलीगढ जेल में शिफ्ट किया गया है. रामवृक्ष यादव के बेटे विवेक यादव और इसी मामले में एक अन्य आरोपी प्रेमचंद्र को अलीगढ जेल में शिफ्ट किया गया है. जबकि आरोपी चन्दन बोस को आगरा जेल भेजा गया है.

 

जवाहरबाग कांड-

  • साल 2014 में रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में सशस्त्र अतिक्रमणकारियों के एक दल ने जवाहर बाग की भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया था.
  • लेकिन पुलिस व प्रशासन काफी कोशिशों के बाद भी इस अवैध कब्जा को नही हटवा पाया था.
  • जिसके बाद इस सम्बन्ध में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
  • याचिका दाखिल होने के बाद हाईकोर्ट में कब्जा मुक्त कराने के आदेश दे दिया था.
  • जिसके बाद 2 जून 2016 पुलिस फोर्स जवाहर बाग को खाली कराने पहुंची.
  • जहां रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में सशस्त्र अतिक्रमणकारियों उन पर हमला बोल दिया.
  • इस हमले में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष कुमार यादव शहीद हो गए थे.
  • जबकि कई पुलिस वाले भी इस हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
  • पुलिस की जवाबी कार्रवाई में लगभग 22 सशस्त्र अतिक्रमणकारी भी मारे गए थे.
  • वहीँ इस हिंसा में मुख्‍य आरोपी रामवृक्ष यादव की मौत भी आग में झुलसकर हुई थी.
  • बताया जा रहा था कि पुलिस से बचने के लिए रामवृक्ष यादव ने झोपड़ियों में आग लगवा दी थी.
  • लेकिन उसी वक्त झोपड़ियों में रखा एक सिलेंडर भी ब्लास्ट हो गया.
  • जिसके चपेट में आने से रामवृक्ष यादव की झुलस कर मौत हो गई.
  • उत्‍तर प्रदेश के डीजीपी सैयद जावीद अहमद ने रामवृक्ष यादव की मौत पुष्‍टि भी की थी.
  • नेता अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर के शव के DNA जांच की मांग की थी.
  • जिसे कोर्ट ने मंज़ूर कर लिया था.

एक नज़र में मामले में अब तक हुई पूरी करवाई-

  • 17 अप्रैल 2017 को हैदराबाद FLS ने DNA मैच की अपनी रिपोर्ट पेश की थी.
  • जिसमे चौकाने वाला खुलासा सामने आया था.
  • इस रिपोर्ट के अनुसार कथित रामवृक्ष के शव का उसके बेटे से डीएनए नही मैच हुआ था.
  • 18 अप्रैल को विवेक यादव की अदालत में पेशी हुई थी.
  • इस दौरान जेल वापस जाते हुए विवेक ने बताया था की रामवृक्ष यादव को पुलिस ने जिंदा पकड़ा था.
  • 20 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान पुलिस का बड़ा ही लचर रवैया सामने आया था.
  • 90 दिनों के अन्दर भी पुलिस विवेक के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं कर पायी थी.
  • जिसके बाद अदालत को विवेक की ज़मानत अर्जी को मंज़ूर करना पड़ा था.
  • फिलहाल विवेक अभी जेल में हैं और अगली सुनवाई के बाद ही अदालत उसकी रिहाई पर कोई आदेश दे सकेगी.
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