कश्मीर में काम करने गये यूपी के सहारनपुर और बागपत जिले के 3 युवकों ने वहां से वापस आकर कश्मीर के हालातों और पत्थरबाजों के मामले में कई बाते बताएँ. उन्होंने कहा कि काम के दौरान उन्हें प्रताड़ित किया जाता था और पत्थरबाजी में शामिल होंने के लिए कहा जाता था. 

कश्मीर में पत्थरबाजी के लिए उकसाए जाते हैं युवक:

भारत की सीमा पर बसे कश्मीर के हालात किसी से छुपे नहीं हैं. एक ओर जहाँ हमारी सैनिकों को सीमा पार पाकिस्तानी सेना का सामना करना पड़ता है, तो वहीं दूसरी ओर आतंकवादियों से भी तकरीबन रोज ही बावस्ता होना पड़ता हैं. लेकिन पड़ोसी देश और आतंकवाद से लड़ने से भी ज्यादा कठिन खुद के लोगों से लड़ना होता है. और इसी मुश्किल का सामना हमारे जवान करते है जब उनको कश्मीर के पत्थरबाजों से दो दो हाथ करने पड़ते हैं.

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आखिर इन पत्थरबाजों के मंसूबे क्या होते हैं. कौन होते हैं ये पत्थरबाज, जो अपने ही देश में अराजकता फैलाते हैं. इसी का खुलासा किया उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और बागपत के दो युवकों ने. कश्मीर से वापस इन युवकों ने भीड़ में छिपे इन पत्थरबाजों के चेहरे से नकाब उतारा है.

सहारनपुर और बागपत से नौकरी के लिए कश्मीर गये थे युवक:

उत्तर प्रदेश के इन युवकों ने कश्मीर में बिताये अपने दिनों और पत्थर बाजी के मामले को लेकर खुलासे किये हैं. दरअसल, प्रदेश के सहारनपुर जिले और बागपत जिले से तीन युवक कश्मीर नौकरी के लिए गये थे. जनवरी में सहारनपुर जनपद के नानौता के रहने वाले  मोहम्मद अजीम राव, बागपत के नकुड़ निवासी बबलू और पंकज नाम के तीन युवक दर्जी का काम करने के लिए कश्मीर पहुंचे.

जहाँ इन युवकों को 20 हजार महिले पर रखा गया. पहले डेढ़ महीने सब सही रहा लेकिन बाद में मालिक ने परेशान करना शुरू कर दिया. युवकों से पहले तो वे शौचलय साफ़ करवाते, अन्य काम करवाते. उसके बाद उसने पत्थरबाजों के साथ शामिल होने के लिए कहा गया.

पीड़ितों ने की सहारनपुर एसएसपी से शिकायत

पीड़ित बबलू ने बताया कि उन्हें वहां प्रताड़ित किया जाता था. और उनसे पत्थरबाजी में शामिल होने के लिए भी कहा जाता था. बहरहाल बबलू ने इस काम को सिरे से नकार दिया. और इन पत्थरबाजों के जुट का हिस्सा बनने से बेहतर अपने घर वापस लौटना ज्यादा मुनासिब समझा.

वापस आकर तीनों युवकों ने एसएसपी से इस मामले की शिकायत की. जिस पर एसएसपी सहारनपुर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच करवाने की बात कही हैं.

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