विद्युत सुरक्षा निदेशालय में व्याप्त अनियमितताओं को स्वंय विभागीय मंत्री स्वीकार कर चुके है। कई अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है। लेकिन लिखित शिकायत और हलफनामें के बावजूद गलत तरीके एवं नियमों को दरकिनार कर पदोन्नति दिए जाने एवं अपने अधिकारिता क्षेत्र से बाहर जाकर बड़े अधिष्ठानों की जाॅच रिपोर्ट एवं एनओसी जारी करने वाले उप निदेशक लखनऊ रीजन शत्रुघ्न सिंह के खिलाफ जाॅच में हीला हवाली की जा रही है। यही नहीं विभाग में लिपिकीय संवर्ग की तमाम समस्याएं हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। यही नहीं उप निदेशक लखनऊ रीजन शत्रुघ्न सिंह शिकायत कर्ता पत्रकार से शपथ पत्र लेने के बावजूद संयुक्त निदेशक विजय प्रकाश श्रीवास्तव कार्रवाई करने से कतरा रहे है।

इस सम्बंध में विद्युत सुरक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि विभाग में होने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ एसोसिएशन लम्बी लड़ाई लड़ रहा है। जिस अधिकारी के बारे में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है। उस अधिकारी सहित कई नियम विरूद्व कार्यो की शिकायत मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री स्तर पर यूनियन दर्ज करा चुका है।

उन्होंने बताया कि सहायक निदेशक कानपुर जोनल कार्यालय में शत्रुघ्न सिंह द्वारा जमकर अनियमिताएं की गई। इन्होंने इस दौरान अपने अधिकारिता क्षेत्र से बाहर जाकर आर्यु विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थाई सैफई का निरीक्षण परीक्षण कर एनओसी जारी कर दी। यही नहीं जिन गम्भीर बिजली दुघर्टनाओं की जाॅच नियमानुसार इनके द्वारा की जानी चाहिए उनकी जाॅच स्वंय न कर अपने अधिनस्थ अवर अभियंताओं से कराकर इन्होंने कर्मचारी सेवा नियमावली का एक बार नहीं बार-बार उल्घंन किया।

तत्कालीन निदेशक एवं प्रमुख सचिव की सहमति से इनके खिलाफ प्रतिकुल प्रविष्ठि होने के बाद भी पदोन्नति पाने में इनकी चाल कामयाब रही। यही नहीं इन्होंने संयुक्त निदेशक और निदेशक के कार्यक्षेत्र पर अतिक्रमण करते हुए एक दो नहीं कई बड़े अधिष्ठानों की जाॅच एवं परीक्षण कर ठेकेदारों के इशारे पर एनओसी जारी कर दी। जैसे अधिशासी अभियंता 132 केवी नीबू पार्क की जाॅच परीक्षण का अधिकार संयुक्त निदेशक का है, लेकिन इन्होंने जाॅच परीक्षण कर एनओसी जारी कर दी।

उन्होने बताया कि उनके द्वारा भी कई अधिकारियों तथा कर्मचारी पवन कुमार कनिष्ठ सहायक के खिलाफ एसोसिएशन ने निम्न बिन्दुओं के आधाार पर शिकायत दर्ज कराई थी। एसोसिएशन की तरफ से कहा गया था कि उक्त कर्मचारी के खिलाफ जाॅच में गम्भीर आरोप पाए जाने के बावजूद उसे निलम्बित न करके झाॅसी से लाकर उसे मुख्यालय में तैनाती ही नहीं दी गई बल्कि संवेदनशील पटल मुख्यमंत्री पोर्टल का काम सौप दिया गया।

इसी तरह धनंजय सिंह, दोहरे हत्याकाण्ड धारा संख्या 302, 506 एवं 120 बी के आरोपी व्यक्ति का अवैध स्थानान्तरण एवं अनुचित तरीके से लखनऊ में जनहित का हवाला देकर स्थानांतरण किया जाना? तत्कालीन उपनिदेशक लखनऊ रीजन द्वारा धनंजय सिंह को अपने अधीनस्थ तैनात किये जाने का विरोध किया गया था। किन्तु कार्यवाहक निदेशक द्वारा उपनिदेशक लखनऊ रीजन के ऊपर दबाव बनाकर धनंजय सिंह को लखनऊ रीजन में ज्वाइन कराये जाने का मामला उठाया जा चुका है।

इन विषयों में दर्ज कराई गई शिकायत

➡शासकीय कार्यों को मनमाने तरीके से करना।
➡हठधर्मिता करना।
➡शासकीय राजस्व प्रभावित किया जाना।
➡अनुशासनहीनता करना।
➡उप्र सरकारी आचरण नियमावली, 1956 के नियम-3, का उल्लंघन।
➡अधीनस्थ अन्य स्टाॅफ पर अप्रत्याशित आरोप लगाकर तनाव की स्थिति उत्पन्न करना।
➡अपने पटल से संबंधित कार्यों का निस्तारण प्रभावी ढंग से न किया जाना।
➡शासकीय कार्यों का निष्ठापूर्वक निस्तारण न किया जाना।
➡अनुमति लिये बगैर मुख्यालय छोड़कर अनियमित तरीके से इंजीनियर संवर्ग के निरीक्षण कार्य स्वयं करना।
➡सौंपे गये शासकीय दायित्वों का पालन न करना।
➡अपने अधिकारी के आदेशों की अवहेलना करना।
➡शासनविभाग की छवि को धूमिल किये जाने।
➡शासकीय कार्यों की गोपनीयता भंग करना।

इनकी शिकायत दर्ज कराई गई हैं लेकिन कार्रवाई की गति धीमी है। इसके अलावा स्टेनों संवर्ग में प्रदेश के तमाम कार्यालय स्टेनो विहीन हैं लेकिन तिकडबज स्टेनों मुख्यालय में स्वीकृत पदों से अधिक समय से तैनात रहकर तबादला नीति की धज्जिया उड़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाग में हुई अनियमिताओं और उसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न होने तक उनका भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान जारी रहेगा।

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