उत्तर प्रदेश में गुंडाराज और अपराध खत्म करने का वादा करके सत्ता में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में अपराध और गुंडाराज और कायम हो गया है। वर्तमान समय में यूपी की कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है। यहां आमजन तो दूर पुलिस और पत्रकार तक सुरक्षित नहीं रह गया है। रविवार की रात जहां चंदौली में एक दारोगा को बदमाशों ने गोली मार दी, वहीं शाहजहांपुर जिला में कुछ गुंडों ने जिलाधिकारी कार्यालय में घुसकर एक सोशल मीडिया पत्रकार को बुरी तरह पीट दिया।

डीएम ऑफिस में पुलिस और सुरक्षाकर्मियों की फौज मौजूद थी लेकिन सभी तमाशबीन बने ये घटना देखते रहे। किसी की हिम्मत नहीं हुई कि स्कार्पियो सवार गुंडों को पकड़ें। जब गुंडे फरार हो गए तो बाद में पुलिस ने घायल पत्रकार को अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस अब गुंडों की तलाश कर उनपर कार्रवाई करने की बात कह रही है। लेकिन एक बड़ा सवाल है कि यूपी में जिस तरीके से पत्रकारों के ऊपर हमला हुआ हैं कहीं ना कहीं योगी सरकार पर और योगी की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़ा होना लाजमी है। जब पत्रकारों और पुलिस पर ही हमला हो रहा है तो आम आदमी कितना महफूज है इन घटनाओं से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है।

20 मिनट तक डीएम कार्यालय के बहार गुंडो ने मचाया तांडव

जानकारी के मुतबिक, घटना सदर बाजार थाना क्षेत्र स्थित जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर की है। यहां एक सोशल मीडिया पत्रकार मेराजुददीन को भू-माफियाओं की खबर यूट्यूब पर पोस्ट करना मंहगा पड़ गया। खबर पोस्ट होने के बाद कुछ गुंडों ने पत्रकार की तलाश की। पत्रकार एक खबर की कवरेज करने के लिए डीएम कार्यालय गया था। यहां रैकी कर पीछे से आये करीब आधा दर्जन से अधिक स्कार्पियो सवार गुंडों ने पत्रकार पर जानलेवा हमला करते हुए लात-घूसों से पीटना शुरू कर दिया।

गुंडे 20 मिनट तक डीएम कार्यालय के सामने गुण्डई करते रहे और आराम से फरार भी हो गये। फिल्हाल पत्रकार को अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया है। बताया जा रहा है कि जिस वक्त घटना हुई उस समय जिलाधिकारी अपने कार्यालय में मौजूद थे। खास बात ये रही कि जिलाधिकरी की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी और वहां मौजूद एलआईयू खड़े तमाशा देखते रहे। इस पूरी घटना ने जिलाधिकारी कार्यालय की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्योकि यहां प्रशासन के आलाधिकारियों के अफसर भी बैठते है। इस संबंध में एएसपी शाहजहांपुर ने बताया कि पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है और जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी कर ली जाएगी।

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भू-माफियाओं और गुंडो से पत्रकार तो क्या पुलिस भी नहीं सुरक्षित

योगी सरकार के पास पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं हैं। नतीजन आये दिन पत्रकार कहीं बिल्डर तो कहीं भूमाआओं और गोरखधंधा करने वालों का शिकार हो रहे हैं। सर्दी हो या बरसात दिन-रात खबरों का संकलन करके जन-जन तक जनता की आवाज पहुंचाने वाले पत्रकार ही नहीं सुरक्षित हैं तो जनता का क्या हाल होगा यह सवालिया निशान है? इस घटना में तमाम संगठनों और राजनीतिज्ञों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कड़े शब्दों में निंदा करते हुए दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग की है।

बड़ा सवाल यह है कि पत्रकार पर हाथ डालने से ये भ्रष्ट अधिकारी पहले तो घबराते हैं लेकिन जब इन भ्रष्ट अधिकारियों और गैर कानूनी धंधा करने वालों को कहीं से संरक्षण मिल जाता है तो इनका मनोबल दो गुना हो जाता है। इसके बाद ये भ्रष्ट अधिकारी जांबाज पत्रकारों का न सिर्फ उत्पीड़न करते हैं, बल्कि हत्या जैसे अंजाम को देने से भी बाज नहीं आ रहे है आये दिन इन भ्रष्टाचारियों की भेंट एक जनसेवक पत्रकार चढ़ रहा है लेकिन इन भ्रष्टाचारियों पर हर कोई कार्रवाई करने में हाथ पीछे खींचता रहता है, नतीजन पत्रकार न्याय के लिए भटकता रहता है।

इससे पहले भी कई पत्रकारों की जान ले चुके गुंडे

8 जून 2015 को शाहजहांपुर में जनपद में सोशल मीडिया पत्रकार जगेन्द्र ने भ्रष्ट मंत्री और भ्रष्ट पुलिस की साजिश का शिकार होकर 8 जून को लखनऊ के शिविल अस्पताल में दम तोड़ दिया था। शहीद पत्रकार ने 22 मई को सूबे के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजे पत्र में अपनी हत्या की आशंका जता दी थी, लेकिन तब अधिकारियों और प्रशाशन ने ध्यान नहीं दिया आखिर उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा।
11 जून 2015 को कानपुर जनपद में कुछ दबंगों ने पुलिस से जुए की शिकायत और जुएं के अड्डे को पकड़वाने के विरोध में पत्रकार दीपक मिश्र को गोली मार दी थी। दीपक के शरीर में 2 गोली लगीं थी जिसमें एक गोली पेट में और दूसरी गोली कंधे में लगी उन्हें गम्भीर हालात में हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
31 जुलाई 2015 को यूपी के कन्नौज जनपद की छिबरामऊ तहसील में पत्रकार राजा चतुर्वेदी की पुरानी रंजिश के चलते घर के पास ही हमलावरों ने गोली मार कर हत्या कर दी और अपराधी फरार हो गए। बताया जा रहा था कि दबंगों ने इनके परिवार पर कई बार हमला किया जिसकी सूचना पुलिस को भी थी, लेकिन पुलिस की ठोस कार्यवाही और पत्रकार की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया गया नतीजन पत्रकार की जान चली गयी।
03 नवंबर 2015 को राजधानी में एक बार फिर पुलिस की बर्बरता सामने आई इस बार बेलगाम सरोजनीनगर थानाध्यक्ष की पिटाई से अधमरे स्वतंत्र पत्रकार व लेखक राजीव चतुर्वेदी की मौत हो गई। थानाध्यक्ष के मातहतों ने बड़ी चतुराई के साथ उन्हें सीएचसी में भर्ती कराया था। चालक ने जब उनकी तलाश में मोबाइल पर फोन किया तो पता चला कि सीएचसी में उनकी मौत हो चुकी है। यह खबर फैलते ही सामुदायिक केंद्र पर जमावड़ा लग गया। फिलहाल इस मालमें में पुलिस कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है वहीं सांसद कौशल किशोर ने मामले की सीबीआई जाँच की मांग की।
6 जुलाई 2015 को बाराबंकी में एक दैनिक अखबार के पत्रकार की मां से थाने के भीतर बलात्कार की कोशिश की गई और कामयाबी नहीं मिली तो उहें पेट्रोल डालकर जला दिया गया। वह थाने में अपने पति को छुड़ाने के लिए गयी थी। पति को छोड़ने के एवज में पहले उनसे पुलिस ने एक लाख रुपये मांगे न देने पर थानाध्यक्ष ने कमरे में ले जाकर उनसे बलात्कार की कोशिश की विरोध में एसो ने तेल डालकर आग लगा दी थी। इस मामले ने तूल पकड़ा लेकिन बाद में मामला ठंडा हो गया।
08 अगस्त 2017 को गोमतीनगर के सीएमएस स्कूल के पास अज्ञात बदमाशों ने हिंदी खबर के कैमरामैन सत्यप्रकाश और उनके दोस्त राहुल पर कातिलाना हमला कर दिया। अज्ञात हमलावर ने चाकू से कई ताबड़तोड़ वार सत्यप्रकाश के ऊपर करके जान लेने की कोशिश की। उन्हें बचाने दौड़े राहुल पर भी हमलावर ने प्राणघातक हमला कर दिया। धारदार हथियार से हुए इस हमले में दोनों गंभीर से घायल हो गए। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों को फ़ौरन लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया था।
30 नवंबर 2017 को कानपुर के बिल्हौर में हिंदुस्तान अखबार के बिल्हौर संवाददाता नवीन श्रीवास्तव पर बाइक सवार बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं और मौके से फरार हो गए। नवीन को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई थी। बताया जा रहा था कि नगर पालिका परिषद के करीब ही कुछ अज्ञात लोगों ने इस वारदात को अंजाम दिया। एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) ने बताया था कि पत्रकार नवीन श्रीवास्तव को 3 से 4 हमलावरों ने जब गोली मारी, तब वह होजरी की दुकान में बैठे थे।
20 जनवरी 2018 को जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार नवल कांत सिन्हा पर गोमती नगर स्थित हुसड़िया चौराहे पर कुछ अज्ञात बदमाशों ने जानलेवा हमला किया था। यहां बदमाशों ने पहले उन्हें धमकाते हुए पर्स में पड़े हुए 700 रुपए लूटे। इसके बाद उनका घर तक पीछा किया। इसके बाद 20 हजार रुपए मांग करने लगे। बताया जा रहा है कि पैसा न देने की वजह से बदमाश हवा में असलहा लहराते हुए गुंडई करने लगे। इसके बाद पत्रकार के सिर पर असलहे के बट से हमला कर दिया। हमला उस समय हुआ ज​ब वह अपने दफ्तर से काम निपटाकर घर जा रहे थे।
04 फरवरी 2018 को काकोरी थाना की पुलिस और कानून-व्यवस्था को चकनाचूर करते हुए गुंडे माफियाओं ने पत्रकार आबिद अली को घर से रविवार को करीब 11:20 बजे खींच कर कुल्हाड़ी, तलवार, हथोड़े, डंडो से बीच सड़क पर जान से मारने की नीयत से हमला किया। हमले पत्रकार आबिद अली को गर्दन, पीठ, हाथ और सिर में गंभीर चोट आई। शोर- शराबा सुनकर बाहर आई पत्रकार आबिद अली की अधिवक्ता पत्नी ने अपने पति की जान की सुरक्षा में लाइसेंसी रिवॉल्वर से फायर किया। इसके बाद में पत्रकार आबिद अली ने बचाव में फायर किया, जिसके बाद उक्त अपराधी धमकी देकर भाग गए।

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