2019 के लोकसभा चुनावों के पहले कैराना लोकसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। कैराना लोकसभा पर होने वाले उपचुनाव के लिए सपा-रालोद ने जहाँ तबस्सुम हसन को प्रत्याशी बनाया है तो वही भाजपा ने दिवंगत सांसद की पुत्री मृगांका सिंह पर दाँव खेला है। सपा ने अपने सभी स्टार प्रचारकों की पूरी सेना कैराना में उतार दी है जो लगातार गठबंधन के प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। ख़ास बात है कि इस उपचुनाव के लिए 65 साल के कद्दावर नेता को विपक्ष का साझा स्टार प्रचारक बनाया गया है।

बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत :

कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में हार के बाद कैराना लोकसभा का उपचुनाव बीजेपी के लिए अहम हो गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद यहां चुनावी रैली की और प्रचार कमान को संभाल लिया है। सपा-बसपा और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन भी इस उपचुनाव में पूरी ताकत झोंके हुए हैं। इसके अलावा 63 साल के बसपा कार्यकर्ता राजेंद्र पाल सिहं, जो खुद को साझा विपक्ष का स्टार कैंपेनर बताते हैं, का कहना है कि उप चुनाव में 75 फीसदी वोट हैंड पंप को मिलेगा। विपक्ष से उम्मीदवार तबस्सुम हसन पूर्व बीएसपी सांसद की पत्नी हैं और सपा से जुड़ी हैं हालाँकि गठबंधन होने के कारण वे राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर लड़ रही हैं। उन्हें समर्थन देने के लिये बीएसपी और कांग्रेस ने अफने उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारे हैं।

 

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जाटों को साथ लाने में लगी है रालोद

राष्ट्रीय लोकदल अपने पारंपरिक जाट वोटों के साथ मुस्लिम वोटों को साथ लाने की कोशिशों में लगी हुई है। दूसरी पार्टियों के वोट बैंक के सहारे तब्बसुम की जीत का विपक्ष दावा कर रहा है। हालाँकि शामली और मुज़फ्फरनगर की हिंसा के बाद जाट वोटर मुस्लिम उम्मीदवार को वोट देंगे, ये एक बड़ा सवाल है। लोकदल ने इसके लिए अपना नारा भी बदल दिया है। लोकदल अब कह रहा है, ..जिन्ना नहीं गन्ना चलेगा। अलीगगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना के फोटो को लेकर हुए विवाद के बाद ये बदलाव किया गया है।

 

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