देश भर के डॉक्टर एन.एम.सी के खिलाफ़ लामबंद होकर विरिध कर रहे है. डॉक्टरों के विरोध के कारण इमरजेंसी को छोड़ तमाम सेवायें रुक सी गई है. डॉक्टरों का ये विरोध मरीजों की परेशानी का सबब बना हुआ है. इसी कड़ी में कानपुर में भी आज डॉक्टरों ने एन.एम.सी. के खिलाफ़ विरोध प्रकट किया.
मेडिकल एसोसिएशन द्वारा  एन०एम०सी० नेशनल मेडिकल कमीशन के विरोध में पूरे देश में सारी आई०एम०ए० शाखाओं द्वारा सुबह छः बजे से लेकर शाम छः बजे तक क्लीनिक नर्सिंग होम अस्पतालों में चिकित्सा कार्यो का बहिष्कार किया गया केवल इमरजेंसी सेवाएं चालू रही .

क्या है NMC और क्यों है विरोध?

देश में अबतक मेडिकल शिक्षा और मेडिकल संस्थानों के रजिस्ट्रेशन का जिम्मा मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया के पास है अब इसे समाप्त करके नेशनल मेडिकल काउंसिल बनाने की तैयारी है. इस बिल के पास होने के बाद 6 महीने का कोर्स किये आयुर्वेद और यूनानी डॉक्टरों को भी एलोपैथी दावा लिखने का अधिकार हो जाएगा. देश के तमाम मेडिकल कॉलेजों की 40 फ़ीसदी सीटों पर NMC का नियंत्रण होगा और देश में केवल नेशनल एलिजिबिलिटी कम इंट्रेंस टेस्ट यानि  NEET की परीक्षा पास करके ही डॉक्टर बना जा सकेगा.
जबकि आई०एम०ए० के अनुसार एन०एम०सी० बिल गरीब विरोधी लोक विरोधी अलोकतांत्रिक और  संघीय प्रणाली का विरोधी है. इस बिल के माध्यम से भारत सरकार समस्त अधिकारों को केंद्रीकृत कर अपने पास रखना चाहती है जबकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में अध्यक्ष, सचिव व अन्य सदस्य लोकतांत्रिक प्रणाली द्वारा चुने जाते है.  नेशनल मेडिकल कमीशन में सदस्य सरकार द्वारा बनाए जाएंगे जिसका विरोध किया जा रहा  है.
डॉक्टरों का कहना है कि यदि उनकी यह मांग पूरी नही हुई तो वे आगे भी सरकार की इस नीति का खुल कर विरोध करेंगे

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