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कर्नाटक चुनाव: 25 साल के संघर्ष के बाद बसपा विधायक की एतिहासिक जीत

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उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की अगुआई वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में एक सीट जीतकर दक्षिण भारत में अपनी पहली दस्तक दी। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं कोल्लेगाला निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी उम्मीदवार एन महेश ने कांग्रेस उम्मीदवार ए.आर. कृष्णमूर्ति को 19, 454 मतों के अंतर से पराजित किया।  

बसपा के एन महेश ने जीती कोल्‍लेगला विधानसभा सीट:

यूपी में अपने बुरे दौर से गुजर रही बहुजन समाज पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में एक सीट जीतकर इतिहास रच दिया। जेडीएस के साथ चुनाव लड़ रही बीएसपी के न केवल एक उम्‍मीदवार ने जीत हासिल की बल्कि इस जीत के साथ ही बीएसपी को अपनी राष्‍ट्रीय पार्टी का दर्जा बचाने में मदद मिल गयी.

57 साल के  महेश एक सरकारी कर्मचारी थे जब उन्होंने 1998 में बीएसपी में शामिल होने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। उन्होंने बताया कि वे काशी राम और मायावती से प्रभावित हुए और इसी वजह से सरकारी नौकरी छोड़ कर पार्टी में शामिल हो गये.

25 साल से जीत के लिए कर रहे संघर्ष:

बीएसपी के कर्नाटक अध्‍यक्ष एन महेश ने राज्‍य की कोल्‍लेगला विधानसभा सीट पर शानदार सफलता हासिल की है. वो पिछले 25 साल से जीत के लिए संघर्ष कर रहे थे, लेकिन उनको पहली बार जीत मिली है. हालांकि उनको जेडीएस का समर्थन हासिल था.

महेश ने कर्नाटक के जिस इलाके से जीत हासिल की है, उसके बारे में एक मजेदार बात यह भी है कि यहां पर 1989 के बाद कोई भी उम्‍मीदवार दोबारा नहीं जीता है। हालाँकि पिछले विधानसभा चुनाव में महेश दूसरे स्‍थान पर थे।

इसके अलावा कोल्‍लेगला विधानसभा सीट यूपी के दलितों का एक बड़ा वोटबैंक है. पिछले तीन विधानसभा चुनावों से महेश क्रमश: चौथे, तीसरे और दूसरे स्थान पर रहे हैं, लेकिन इस बार वो प्रथम स्थान हासिल करने में कामयाब हुए हैं.

चुनाव प्रचार के दौरान 25 साल के लंबे संघर्ष के बाद भी महेश के चेहरे पर चमक और जोश नजर आया था।

जेडीएस के साथ गठबंधन :

दरअसल, बीएसपी ने राज्य की प्रमुख पार्टी जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के साथ गठबंधन किया है। राज्‍य की 224 सीटों में से 18 सीटों पर बीएसपी ने अपने प्रत्‍याशी उतारे थे। 18 उम्मीदवारों में से महेश समेत 11 दलित थे। बीएसपी कर्नाटक में पिछली बार 1994 का चुनाव बीदर से जीती थी। बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पारस्नातक एन महेश बीते 25 वर्षों से यह सीट हार रहे थे।

खुद एन महेश ने इसे अपनी जिंदगी का लंबा और कठिन संघर्ष माना.

बहरहाल इस जीत के साथ ही अब बीएसपी को अपनी राष्‍ट्रीय पार्टी का दर्जा बचाने में मदद मिलेगी। दरअसल, लोकसभा चुनाव में एक भी सीट न मिलने के बाद से बीएसपी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म करने का नोटिस दिया जा रहा है। अब फिर लोकसभा चुनाव नजदीक है। ऐसे में कर्नाटक में इतने वोट और एक सीट मिलने से बीएसपी को राहत मिलेगी।

चुनाव से पहले कांग्रेस ने जेडीयू को भाजपा की टीम बी कह कर उसका मज़ाक बनाया था. आज कांग्रेस के समर्थन वाली ये पार्टी भाजपा के खिलाफ सरकार बनाने को लेकर खड़ी है.

नहीं छोड़ेंगे मायावती का साथ:

जहाँ जेडीयू और कांग्रेस भाजपा से अपने विधायकों को बचाने में लगे हैं, वहीं बसपा के महेश ने मायावती का ही साथ देने की बात करते हुए कहा, “किसी ने मुझे 100 करोड़ रुपये नहीं दिए हैं। बीजेपी ने मुझे उनसे समर्थन करने के लिए कहा था, लेकिन मैंने कहा नहीं। यह बहनजी (मायावती) का निर्णय है.”

होलेया दलित समुदाय से आने वाले महेश ने बताया कि वो फ्क्ले थे सदाशिव अयोग की उस रिपोर्ट का समर्थन किया था जिसमे मडिगा दलितों के लिए एक आंतरिक आरक्षण की सिफारिश की गयी थी. उन्होंने दावा किया कि मडिगा दलितों ने भी उनको वोट दिया हैं.

फिलहाल सरकार किसी की भी बने पर महेश की इस जीत से बसपा की नैया डूबने से बच गयी. भाजपा जीती या कांग्रेस हारी लेकिन बसपा ने जीत एतिहासिक रहेगी.

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