किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों (KGMU doctors) ने एक युवक को नई जिंदगी दी है। यहां डॉक्टरों ने जीभ के कैंसर से जूझ रहे एक युवक के हाथ की खाल और मांस से नई जीभ बना दी। इन नई जीभ को गले की रक्तवाहिनों से जोड़ दिया गया। इससे नया हिस्सा भी पहले की तरह ही हो गया है। अब यह कैंसर पीड़ित मरीज आम लोगों की तरह बोल सकेगा।

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KGMU doctors cancer sufferer Patient

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ओपीडी पहुंचा था मरीज

  • राजधानी के माल थाना क्षेत्र के रहने वाले जितेंद्र प्रताप सिंह (38 साल) के एक युवक के जीभ में छाला हो गया था।
  • उसे परेशानी होने लगी तो उसने कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन सही नहीं हो पाया।
  • जब युवक को बोलने में दिक्कत होने लगी तो वह करीब डेढ़ महीने पहले केजीएमयू के दंत संकाय के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग की ओपीडी में पहुंचा।

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  • ओपीडी में प्रो. यूएस पाल की टीम डॉ. जतिन पटेल, डॉ. शिल्पी गंगवार, डॉ. पवन गोयल और एनेस्थेटिस्ट डॉ ऋतु वर्मा की टीम ने जीभ की जांच की।
  • डॉक्टरों ने जीभ के छाले वाले हिस्से में कैंसर की आशंका के चलते छाले वाले भाग की बायोप्सी कराई।
  • इस रिपोर्ट में पता चला कि मरीज को कैंसर है।

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10 घंटे तक चली सर्जरी

  • प्रो. यूएस पाल ने बताया कि युवक की सर्जरी और नई जीभ को बनाने में 10 घंटे का समय लगा।
  • उन्होंने बताया कि पिछली 15 जून को उनकी टीम मरीज को लेकर सुबह 10 बजे ऑपरेशन थियेटर (ओटी) गई थी।
  • इस दौरान रात के 8:00 बजे सर्जरी पूरी हुई।
  • सर्जरी के दौरान पहले जीभ के कैंसरग्रस्त हिस्से को काटकर बाहर निकाला गया।

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  • इसके बाद कलाई के पास के हिस्से की खाल को आर्टरी व वेन के साथ निकाला गया।
  • उन्होंने बताया कि इस खाल को फेशियल आर्टरी व वेन से जोड़ा गया, जिससे इसमें खून की आपूर्ति भी होती रहे।
  • प्रोफ़ेसर ने बताया कि कुछ सप्ताह बाद मरीज पहले की तरह बोल सकेगा।
  • उन्होंने बताया कि कैंसरग्रस्त जीभ की सर्जरी के साथ ही गले के लिम्फनोड भी निकाले गए।
  • इनमें कैंसर होने की आशंका थी।
  • इसलिए सावधानी पूर्वक गले की क्लेविकल बोन तक जाकर लिम्फनोड निकाले गए।
  • इसे मोडिफाइड रेडिकल नेक डिसेक्शन भी कहा जाता है।
  • प्रोफ़ेसर ने बताया कि मरीज को नई जिंदगी मिलने के बाद उसके परिवार वालों ने खुशी के चलते डॉक्टरों की टीम को पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया।

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