कुकरैल वन क्षेत्र को अब ईको टूरिज्म के तौर (kukrail forest) पर विकसित किया जाएगा। यहां वन्यजीवों के भी दर्शन हो सकेंगे।कुकरैल वन क्षेत्र को वन्यजीवों की सफारी बनाई जाएगी। इसमे मांसाहारी व शाकाहारी वन्यजीवों को रखा जाएगा। बता दें कि शहर के इंदिरा नगर से सटा कुकरैल जंगल करीब 5100 एकड़ में फैला है। इस वन क्षेत्र में तमाम पेड़-पौधों की प्रजातियां हैं।
PM मोदी के भाषण को LU में LIVE सुनेंगे युवा छात्र
इटावा के लायन सफारी की तर्ज पर होगा विकसित
- प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एके उपाध्याय ने बताया कि कुकरैल वन क्षेत्र को ईको टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमे टाइगर समेत मांसाहारी व शाकाहारी वन्यजीवों को रखा जाएगा।
- राजकीय निर्माण निगम को प्रोजेक्ट बनाने को कहा गया है।
- उन्होंने बताया कि प्राकृतिक आवरण को समेटे जंगल को शहर का फेफड़ा कहा जाता है।
- लिहाजा, पिकनिक स्पॉट के तौर पर विकसित कुकरैल को अब राज्य की इको टूरिज्म योजना में शामिल किया गया है।
- ऐसे में पर्यटकों को राज्य में बढ़ावा देने के लिए कुकरैल में वन्यजीव सफारी बनाया जाएगा।
- इसे इटावा के लायन सफारी की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
भीड़ ने सिपाही को पीटा तो दूसरे थाने का बताकर बचाई जान
टाइगर समेत पांच जंतुओं को छोड़ा जाएगा
- वन संरक्षक लुप्तप्राय परियोजना एपी सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार इको टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है।
- वन विभाग द्वारा प्रोजेक्ट को तैयार कर लिया गया है।
- इस पर अगला फैसला शासन को लेना है।
- पर्यटकों की सुविधा के लिए कैंटीन, सैर के लिए जिप्सी, गाइड, सिक्योरिटी आदि के पूरे इंतजाम होंगे।
- एपी सिन्हा ने बताया कि सफारी में टाइगर समेत पांच जंतुओं को छोड़ा जाएगा।
- इसमें बाघ, तेंदुआ, भालू व शाकाहारी जीवों की प्रजातियों होंगी।
- शाकाहारी जंतुओं से ही बाघ अपने भोजन की व्यवस्थाएं करेंगे।
- एपी सिन्हा ने बताया कि वन्य जीवों के रहने के स्थान की दो श्रेणियां होती हैं।
- इसमें इन-सीटू जहां उनका प्राकृतिक निवास क्षेत्र होता है।
- वहीं दूसरा एक्स-सीटू, जहां वन्य जीवों की पारिस्थितिकी के अनुसार उनके निवास योग्य क्षेत्र विकसित किया जाता है।
प्रेमियों पर थर्ड डिग्री टार्चर का वीडियो वायरल
जैव विविधता पार्क भी बनेगा कुकरैल
- एपी सिन्हा के मुताबिक, कुकरैल में बायोडायवर्सिटी (जैव विविधता) पार्क भी बनेगा।
- इसका भी प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है।
- इसमें लुप्त हो रहे जीव-जंतु और पक्षियों को रखा जाएगा।
- इनके नेचुरल ब्रीडिंग की (kukrail forest) व्यवस्था होगी।
- वहीं पार्क में लुप्त हो रही प्रजातियों को हाईलाइट किया जाएगा, वहीं उनके न होने से मानव व वातावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में भी दर्शाया जाएगा।
- यह पार्क अभी दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल व पुणो में हैं।
UP STF ने फ़र्ज़ी UIDAI आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का किया भंडाफोड़, 10 गिरफ्तार
कुकरैल में है देश का पहला घड़ियाल प्रजनन केंद्र
- एपी सिन्हा के मुताबिक सेंटर में करीब पांच हजार घड़ियाल के बच्चे तैयार किए गए जो कि देश की विभिन्न नदियों के साथ-साथ यूएसए, जापान, बांग्लादेश भी भेजे गए।
- इसके अलावा कुकरैल में कछुओं की 11 प्रजातियों का भी प्रजनन होता है।
- यहां से विदेश भेजे गए घड़ियाल कुकरैल में अभी घड़ियाल आकर्षण का केंद्र हैं।
- विश्व संरक्षण संघ द्वारा 1972 में एनीमल लिस्टिंग में घड़ियाल को अतिसंकट ग्रस्त श्रेणी में रखा गया।
- उस समय इनकी संख्या 300 रह गई थी।
- इसके बाद देश का (kukrail forest) पहला घड़ियाल प्रजनन केंद्र कुकरैल में खोला गया।
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें
Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.