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हमीरपुर : दरोगा की नौकरी छोड़ गांव की सेवा की चुनी राह:  ऋषिता तिवारी

दरोगा की नौकरी छोड़ गांव की सेवा की चुनी राह 
 
हमीरपुर- कहा जाता है कि इस दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो खुद के लिए नहीं बल्कि समाज की बेहतरी के लिए, दूसरों को अच्छा बनाने के लिए, परेशान लोगों के चेहरे पर खुशी लाने के लिए जीते हैं। इस तरह के लोगों में अपने काम के प्रति ऐसा जुनून होते है कि वो हर परिस्थितियों को अपने हिसाब से ढाल देते हैं और अपना सर्वस्व झोंक देते हैं।
हमीरपुर : दरोगा की नौकरी छोड़ गांव की सेवा की चुनी राह:  ऋषिता तिवारी
हमीरपुर : दरोगा की नौकरी छोड़ गांव की सेवा की चुनी राह:  ऋषिता तिवारी
 दरअसल  यह कहानी है यूपी के हमीरपुर जिला के सरीला ब्लाक  में तैनात 2016 भर्ती पर ग्राम विकास अधिकारी की परीक्षा उत्तीर्ण हुई एक लगनशील लड़की ऋषिता तिवारी ( Rishita Tiwari  ) की है जो दरोगा की नौकरी छोड़कर गांव के गरीबो की सेवा की राह चुनती हैं।
 ऋषिता  अपने गांव विबार से ऑटो से 30 किलोमीटर दूर सरीला ब्लाक निडर होकर ठीक समय ड्यूटी पर  पहुंचती है  तो कभी अपने चयनित गांवो गलियों में गांव के विकास को परखती है सही से योजनाओं पर कार्य हो इसके लिए  कई किलोमीटर पैदल चलकर  गांव की पगडंडियों में पड़ी बंधियो की खुद नपाई करने लगती है  गांव में बड़े बुजुर्ग असहाय गरीबो को उनका हक दिलाने के लिए  घर घर जाकर जागरूक करना इन्होंने ने अपना धर्म मान लिया है ताकि विचौलियों  बीच मे कमीशन खोरी न कर सके  सरकारी योजनाओं का सही से लाभ मिले इसलिए  पात्र को योजना का लाभ दिनाने का और अपात्र को लाभ से वंचित करने का कार्य भी बखूबी कर रही  है इतना ही नहीं जब महिला सचिव को ये महसूस हुआ कि भ्रष्ट प्रशासनिक कर्मचारी और जनप्रतिनिधि ही गांव की तरक्की में सबसे बड़ी बाधा रहे हैं तो, वह खुद गांव के घर घर मौके पर पहुंचती है और सबसे बड़ी बात ये कि ग्राम सचिव  बनने के 9 महीने के अंदर ही उन्होंने छेड़ी बंगरा धौहल बुजुर्ग  गांवो की जो तस्वीर बदली वह दूसरों के लिए नजीर है गांव के सभी दलालों की दुकान बंद कर दी बृद्धा व विकलांग पेंसन पर हर माह दलाली खाने वालों की दलाली पर जंग लगा दी शौंचालय की राशि देने के नाम पर जो कमीशन खोरी गांव में होती थी उसको भी नस्ट कर किया गांव में गरीबों से प्रधानमंत्री आवाश पर जो रिश्वत लेकर आवास दिलाने का ग्रहण लगा था उसको भी बंद करवा दिया।
हमीरपुर : दरोगा की नौकरी छोड़ गांव की सेवा की चुनी राह:  ऋषिता तिवारी
छेड़ी बेनी और बंगरा गांव में होने वाले विकास को गांव के लोगों ने अब अपनी आंखों के सामने होते हुए देखा और महसूस किया है। गांव की तरक्की का ये कारनामा कर दिखाया है, बिवांर गांव की एक अध्यापक की बेटी रिश्ता तिवारी  ने अपने सिर्फ पांच महीने के कार्यकाल में तरक्की की ऐसी मिसाल कायम की है, जो पिछले कई दशकों से गांव में तैनात  कोई ग्राम विकास अधिकारी नही कर पा रहे थे।
 ग्रामीण बताते है कि इससे पहले जो ग्राम विकास अधिकारी गांव में तैनात थे उनको कभी नही  देखा गया, गांव में कभी खुली मीटिंग भी नही हुई किसी भी ग्राम सचिव को गांव के विकास से कोई सरोकार नही रहा,अब जब से यह लड़की गांव में तैनात हुई इसने वो कर दिखाया जो बड़े बड़े नही कर सके साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि अगर महिला सचिव का  प्रधान भी  ईमानदारी से सहयोग  दे तो गांव का विकास दोगुनी तफ्तार से बढ़ेगा।
Rishita Tiwari
पिछले नौ महीने  में गांव में साफ सफाई आवस्यक गालियों में सड़क स्वच्छ पेयजल और खंडहर बने पंचायत भवन के निर्माण का अति महत्वपूर्ण कार्य किया है। जरूरतमंदो को राशन कार्ड दिलाने में अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान और वृद्धा और विधवा पेंशन भी लोंगो को मिलने लगा है। सरकार द्वारा ग्रामीण विकास के लिए चलाई जाने वाली अधिकतर योजनाओं का इस गांव में क्रियानवयन सही ठंग हो रहा है। इस महिला कर्मचारी ने  गांव के लोंगो का ध्यान अपनी तरफ खींचा है  उनके कामों की हर तरफ प्रशंसा हो रही है। अच्छे कामों के लिए  अधिकारी  भी प्रसंसा कर रहे है। हालांकि ऋषिता कहती हैं, उन्हें अभी गांव के लिए बहुत कुछ करना है। गांव को आदर्श गांव बनाना हैं और जैविक खेती के लिए किसानों-ग्रामीणों को प्रेरित करना है।, धौहल गांव को साफ-स्चच्छ रखने के लिए करीब 300 से अधिक बनवाए जा चुके है अभी और  नए शौचालय और बनवाए जा रहे  है वह चाहती है वार्डो में सड़कें हों, सभी ग्राम पंचायत सदस्यों के साथ गांव के विकास के लिए लगातार मीटिंग भी करना चाहिए,
  ऋषिता ( Rishita Tiwari  ) कहती हैं, सरकारी स्कूलों पर बच्चों को अच्छी शिक्षा, अच्छा मध्यान्ह भोजन मिले इसके लिए भी लगातार कोशिश कर रही है और नतीजे दिख रहे हैं कि जो बच्चे पढऩे नहीं जाते थे वह नियमित स्कूल जाने लगे हैं। गांव में अभी उन्हें  पेशन योजना, प्रधानमंत्री आवास, पानी, ब और अन्य सरकारी योजनाओं के शतप्रतिशत लक्ष्य हासिल करना है।
ऋषिता ने  महिला सशक्तिकरण और बेटियों की सफलता के लिए भी जोर दे रही है जिले की सबसे युवा महिला सचिव अब ग्रामीण छेत्र के युवाओं के लिए मिशाल है  ग्रामीणों के बीच बेबाकी से गांव की जरूरतों और शासन की योजनाओं को युवा सचिव ने बताया। छेड़ी बेनी गांव के विकास के लिए सचिव बनने के बाद ऋषिता के कार्य महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अब बतौर मिसाल पेश किए जा रहे हैं,  बल्कि ऐसी कड़ी धूप में  में बेटिया घर की चारदीवारी से निकलकर किस तरह गांव के विकास में  ईमानदारी से योगदान दे रहीं हैं, इसकी बानगी दिखाई जा रही है
ऋषिता ने यह साबित कर दिया कि अगर कुछ करने का जज्बा और मजबूत हौसला हो तमाम बाधाएं इन्सान के आगे नतमस्तक हो जाती है
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