लखीमपुर खीरी- पुलिस की कार्रवाई से सुप्रीम कोर्ट असन्तुष्ट, सबूतों को सुरक्षित रखने का दिया आदेश

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा पर सुप्रीम ने बहुत सख्ती दिखाई है। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई करते हुए कहा है कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं है।

 

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई करते हुए CJI (Chief Justice of India) एनवी रमना ने उत्तर प्रदेश सरकार को कहा कि यूपी सरकार अपने राज्य के पुलिस महानिदेशक(DGP) से यह सुनिश्चित करने के लिए कहे कि जब तक कोई अन्य एजेंसी इसे अपने हाथ में न ले ले, तब तक मामले में सबूत सुरक्षित रहें। ज्ञात हो कि कुछ वकीलों के द्वारा डाली गई याचिका पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा की सुनवाई आज से शुरू की है।

 

ज्ञात हो कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने उसे आश्वासन दिया है कि मामले में सबूतों को संरक्षित करने के लिए राज्य के सर्वोच्च पुलिस अधिकारी को सूचित किया जाएगा।

 

बता दें कि यूपी सरकार के लिए हरीश साल्वे ने अपनी दलील मे  कहा था कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बंदूक की गोली की चोट नहीं दिखाई गई। उन्हें दो कारतूस मिले हैं, शायद आरोपी का निशाना कोई गलत था। इस बात पर CJI सख्त ने सख्त होते हुए साल्वे से पूछा, तो ये है आरोपी को हिरासत में नहीं लेने का आधार?

 

यूपी सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील हरीश साल्वे ने जब सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पोस्टमॉर्टम में गोली के घाव नहीं दिखे, इसलिए उन्हें नोटिस भेजा गया था, तब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि जब मौत या बंदूक की गोली से घायल होने का गंभीर आरोप है तो क्या इस देश में आरोपियों के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाएगा?

 

आगे सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक वैकल्पिक एजेंसी के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए कहा है जो जांच कर सकती है। ज्ञात हो कि इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई जांच भी कोई समाधान नहीं है और कारण पता है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा को आठ लोगों की नृशंस हत्या बताते हुए कहा कि कानून को सभी आरोपियों के खिलाफ अपना काम करना चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि उसे उम्मीद है कि यूपी सरकार मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जरूरी कदम उठाएगी।

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