पीली रोशनी से जगमग होने वाली लखनऊ विकास प्राधिकरण की कालोनियां आने वाले दिनों में दूधिया रोशनी से सराबोर दिखेंगी। एलईडी लाइट के लगने से यह संभव होगा। इसके साथ ही, 55  प्रतिशत बिजली की भी बचत होगी। परिणामस्वरूप, इस ऊर्जा की बचत से एलईडी लाइट की लागत व उसके अनुरक्षण की क्षतिपूर्ति हो सकेगी। एलईडी लाइट लगाने को लेकर एलडीए व ईईएसएल के बीच करार हुआ। दरअसल, लखनऊ विकास प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं जैसे गोमती नगर, गोमती नगर विस्तार, कानपुर रोड, जानकीपुरम विस्तार आदि योजनाओं में लगी करीब 13,389 स्ट्रीट लाइटों के स्थान पर एलईडी लाइटें लगायी जाएंगी।

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एलडीए व ईईएसएल के बीच हुआ एमओयू

  • भारत सरकार से अधिकृत कंपनी एनर्जी इफिसिएंशी सर्विसेज लिमिटेड के साथ एलडीए ने अनुबंध किया है।
  • वहीं, कंपनी ने जानकीपुरम में एलईडी लगाने का काम शुरू कर दिया है।
  • एलईडी लाइट लगने पर एलडीए को हर वर्ष 8.16 करोड़ की बचत होगी।
  • हालांकि इसमें से कंपनी को भी भुगतान करना होगा।
  • मेंटीनेंस के सालाना खर्च 11.66 करोड़ से घटकर लगभग 4.21 करोड़ रुपए हो जाएगा।
  • पांच साल में एलडीए की करीब 21.96 करोड़ की बिजली बचेगी।
  • भारत सरकार भी एनर्जी इफिसिएंशी को लेकर अभियान चला रही है।
  • इसी क्रम में शहर में सस्ते दामों पर एलईडी बल्ब, ट्यूबलाइट व पंखे बेचे जा रहे हैं।
  • वर्तमान में एलडीए की विभिन्न आवासीय योजनाओं में पारंपरिक स्ट्रीट लाइटें लगी हैं।
  • इससे हर माह लाखों का बिजली बिल आ रहा है। बिजली खपत भी बढ़ रही है।
  • नगर निगम ने धीरे-धीरे स्ट्रीट लाइटों को एलईडी में बदलने का काम शुरू कर दिया है।

अनुबंध की शर्तों पर हुई चर्चा

  • ईईएसएल के प्रतिनिधियों ने एलडीए अधिकारियों के साथ बैठक की।
  • कपनी के साथ होने वाले अनुबंध की शर्तों पर चर्चा हुई।
  • प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं में करीब 13,389 स्ट्रीट लाइटें लगी हैं।
  • यहां 250 से 150 वाट की सोडियम व 40 वाट के ट्यूब लाइट लगवाए हैं।
  • एलडीए को सालाना10.63 करोड़ रुपए बिजली का बिल देना होता है।
  • इन लाइटों के मेंटीनेंस पर सालाना 1.03 करोड़ रुपए खर्च होता है।
  • इस तरह कुल 11.66 करोड़ रपए व्यय आता है।
  • एलईडी लाइटें लगने से बिल घटकर ४.२१ करोड़ रपए हो जाएगा। 8.16 करोड़ की बचत होगी।
  • बिजली के बिल के रूप में होने वाली बचत में से प्राधिकरण को 3.52. करोड़ रुपए सालाना एलईडी लगाने वाली क पनी ईईएसएल को भुगतान करेगा।
  • इसके बाद भी एलडीए को 4.62 करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी।
  • कंपनी एलईडी लगाने के लिए प्राधिकरण से कोई पैसा नहीं लेगी।

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