लखनऊ विकास प्राधिकरण में एक और खुलासा हुआ है जिसमें एलडीए पर आर्थिक चपत लगाने की तैयार की गई है। नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत 50 करोड़ रुपए मुआवजा देने का प्रस्ताव बनाकर स्वीकृति के लिए एलडीए उपाध्यक्ष के पास भेजा गया है। जांच के बाद वीसी ने स्वीकृति नहीं दी और फाइल पर रोक लगा दी है। सालेह नगर में मुआवजे को देने का मामला दिलचस्प है जहां अब एलडीए ने 5.09 लाख के बदले 5.62 करोड़ रुपए देने का प्रस्ताव तैयार किया है।

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ये था शासनादेश

  • दरअसल, अधिग्रहित भूमि के लिए प्रतिकर भुगतान को लेकर करोड़ों का प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है।
  • यह मामला कोर्ट तक पहुंचा। इस पर फाइल प्रभारी अधिकारी अर्जन व नजूल अधिकारी विश्व भूषण मिश्र के पास गई।
  • मिश्र ने कहा कि नए भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर उस समय कहा गया था कि एलडीए पर आर्थिक बोझ पड़ेगा।
  • लेकिन, इसके विपरीत एक हजार गुना मुआवजा निर्धारित कर दिया गया।
  • आपको बता दें कि 1981 की जगह 2016 के रेट से कास्टिंग की गयी थी।
  • सालेह नगर में सात दिसंबर 2015 में खसरा संख्या 185, 186 व 187 क्षेत्रफल ।
  • एक बीघा दो बिस्वां भूमि के प्रतिकर भुगतान के लिए 5.62 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया।
  • जबकि प्रदेश सरकार के मार्च 2016 में जारी किये गए शासनादेश के मुताबिक।
  • प्रस्तर-3 (2) (5) के अनुसार सर्किल रेट का दो गुना शहरी भूमि के अनुसार गणना की गई थी।
  • इसी मूल्य के आधार पर प्रतिकर निर्धारित कर दिया गया जबकि इसी शासनादेश में प्रस्तर 2 (2) (1) में कहा गया है।

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  • कि मूल्य निर्धारण अवधारण तिथि पर परियोजना शुरू होने व अनुमोदन होने के छह महीने पहले से होगी।
  • इस बाबत कुल 50 करोड़ रुपए मुआवजा दिए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया।
  • भुगतान की स्वीकृति के लिए फाइल उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह को भेजी गयी ।
  • उन्होंने पड़ताल करने के बाद फाइल रोक दी।

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