उत्तरप्रदेश के इटावा में समाजवादी पार्टी की देख-रेख में कार्यक्रम शुरू किया गया था, जिसके तहत यहाँ शेरों की घटती संख्या के मद्देनज़र लायन सफारी प्रजनन कार्यक्रम की शुरुआत की गयी थी. बता दें कि इस कार्यक्रम को बहुत ज़ोर-शोर से शुरू किया गया था, परंतु अब इस कार्यक्रम में खामिया दिखने लगीं हैं. दरअसल इस कार्यक्रम के अंतर्गत पैदा हुए कई शावक पैदा होने के साथ ही मर गए. यह सिलसिला यहीं ख़त्म नहीं होता है, मरने वाले जानवरों कि श्रेणी में केवल शावक नहीं हैं बल्कि वयस्क शेर-शेरनियां भी हैं. ख़ास बात यह है कि इस मामले में अब तक कारण का पता नहीं लगाया जा सका है.

अब तक हो चुकी हैं 9 जानवरों की मौत :

  • अखिलेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट लायन सफारी प्रजनन कार्यक्रम अब फेल होता नज़र आ रहा है.
  • बता दें कि इस कार्यक्रम में साल 2014 में 9 जानवरों की मौत हो गयी है.
  • जिसमें से 4 वयस्क शेर-शेरनियां हैं, वहीँ इस श्रेणी में 5 शावक भी शामिल हैं.
  • दरअसल साल 2014 में इस कार्यक्रम के अंतर्गत अप्रैल व सितंबर को 4 शेरों के जोड़े लाये गए थे.
  • जिसके बाद इसी साल अक्टूबर में एक शेरनी की मौत हो गयी थी.
  • जिसके बाद नवंबर में एक शेर की भी मौत हो गयी थी, बता दें कि दोनों को दिल का दौरा पड़ा था.
  • साल 2015 की गर्मियों में 2 शेरनियों ने 5 शावकों को जन्म दिया था.
  • जिसमें से 2 शावक जन्म लेने के 24 घंटे के अंदर ही मर गए थे.
  • वहीँ बाकी के तीन शावकों में से 2 अगले चार दिनों के अंदर मर गए थे.
  • परंतु हैरानी की बात यह थी कि इन मौतों के पीछे के कारण का पता नहीं चल सका था.
  • हालाँकि खानापूर्ति करने के लिए तत्कालीन डायरेक्टर के.के सिंह को उनके पद से हटा दिया गया था.
  • आपको बता दें कि गत वर्ष अगस्त महीने में इस कार्यक्रम व सपा के मुखिया मुलायम सिंह ने लोक सभा में इन मौतों के पीछे के कारण जांचे की मांग की थी.
  • वहीँ लायन सफारी इटावा ने गुजरात से भी इस सन्दर्भ में मदद लेने की बात कही थी और आश्वासन दिया था कि किसी प्रकार भी इन मौतों को रोकने के पर्याप्त उपाय किये जायेंगे.

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क्या थे मरने वाले जानवरों के नाम :

  • सीएम अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए जैसा सपना देखा गया था, इस कार्यक्रम में इसके बिलकुल विपरीत हो रहा है.
  • दरअसल लायन सफारी प्रजनन कार्यक्रम के दौरान वर्ष 2014 से अब तक कई जानवरों की मौत हो चुकी है.
  • विष्णु, लक्ष्मी, कुबेर, तपस्या, गिरिश्मा, पटौदी, कुंवारी व गिगो जानवरों की मृत्यु हो गई.
  • आपको बता दें कि इन शेरों में से गिरिश्मा को पहले लकवा मार गया था जिसके बाद उसकी मौत हो गयी थी.
  • वही कुंवारी को दांतों में किसी तरह के वायरस इन्फेक्शन हो गया था, जिसके चलते उसकी मौत हो गयी थी.

जाहिर तौर पर शेरों की मौत एक गंभीर मामला है और वन्य जीव संरक्षण नियमों के अनुपालन को ध्यान रखते हुए उन सभी बातों का सूक्ष्म विश्लेषण करने की जरुरत है कि आखिरकार इतने बड़े पैमाने पर शेरों की मौत के पीछे क्या वाकई इन्फेक्शन है या वन्य जीव विभाग इनके रख-रखाव में लापरवाही करता रहा है.

बहरहाल, इनकी सुरक्षा और देखभाल के साथ इनके खान-पान और अनुकूल वातावरण पर विभाग को ध्यान देना होगा, इसके साथ ही उचित समय पर चिकित्सकीय जाँच भी जरुरी है.

 

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