लख़नऊ से आयी थी बरात सादगी से सम्पन्न हुआ वैवाहिक कार्यक्रम।

हरदोई। लॉक डाउन के चलते वैवाहिक कार्यक्रम बिना चमक-दमक के सीमित लोगों की उपस्थिति में संपन्न हो रहे हैं। फालतू के खर्चों पर लॉक डाउन के चलते रोक लग गई है। बेटी के जन्म लेते ही लोग रात-दिन परिश्रम करके उसकी शादी हेतु बचत करना शुरू कर देते हैं। सामाजिक बंधनों के चलते लोग न चाहते हुए भी सामाजिक सिस्टम के चलते लाखों रुपया झूठी शान शौकत में खर्च कर देते हैं। इसके बाद कर्जी चुकाने में लोगों की खुशियां गायब हो जाती थी। इस महामारी ने इस परंपरा पर रोक लगा दी है।कछौना कस्बे के मोहल्ला पूर्वी बाजार निवासी सर्वेश तिवारी अपनी पुत्री कोमल तिवारी का बिना बैंड बाजा, सादगी परिवार के सीमित सदस्यों की उपस्थिति में बुधवार को वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न कराया। बारात लखनऊ से दूल्हा, पिता, दो रिश्तेदारों, एक वाहन से आकर हिंदू रीति रिवाज से कराई गई।

सरकार की गाइडलाइन का पालन कर पूरी की रस्म।

परिवार जनों ने सरकार की गाइड लाइन का पालन कर रस्म अदायगी की। सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन किया गया। सभी सदस्य गण मास्क का प्रयोग किए थे। “बराती न बैंड बाजा, सादगी से दुल्हन ले गए दूल्हे राजा” की शुरुआत से सभी अभिभूत नजर आए। कोरोना महामारी सामाजिक जीवन पद्धति बदलने का कार्य कर रही है।

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